“यो म्हारो दास छ, जिन्अ म थरप्यो छु। यो म्हारो लाड़लो छ, म इसुं खुब राजी छु, म्हारो आत्मा म ईक्अ उपरअ रखाणुलो अर सबळा देसा का सबळा मनखा को योई न्याऊ करअलो।
यो कागद समौन पतरस की ओड़ी सुं छ, ज्यो ईसु मसी को दास अर खास थरपेड़ो छु, बां मनखा क नांऊ ज्यो आपणा परमेसर अर उद्धार करबाळा ईसु मसी की धार्मिकता सुं म्हाकी जस्यान घणो मेंगामोल को बस्वास पाया छ।
ज्यांसुं वो आपान्अ घणी मेंगी अर घणी बड़ी परतिज्ञा दियो छ, क जिसुं थे बी बराई सुं छूटर, ज्यो संसार की बरी लालसा सुं होव्अ छ, परमेसर का सुभाव का सीरी हो जावो।