खुदकी काया का हस्सा न्अ अधर्म का साधन की न्याऊ पाप का हाथा मं मत सुंपो। पण मरया मंसुं जीवतो होबाळा की जस्यान परमेसर का हाथा मं सुंपद्यो। अर खुदकी काया का हस्सा न्अ धरम का साधन की न्याऊ परमेसर का हाथा मं सुंपद्यो।
कांई थे कोन जाणो क जद्या थे कोई की बात मानबा बेई खुदन्अ दास की जस्यान उन्अ सुंप देव्अ छो तो थे जिकी आज्ञा मानो छो उंका दास छो। फेर छाव्अ थे पाप का दास बणो ज्यो थान्अ मार देलो अर छाव्अ आज्ञाकारीता का, ज्यो थान्अ धार्मिकता की ओड़ी लेर जाव्अली।
क्युं क थे मसी की लारा मर चुक्या छो अर थान्अ संसार की सक्ष्या सुं छूटवाड़ो मलचुक्यो छ। तो थे ई संसार का मनखा की जस्यान को बुवार क्युं करो छो? अर अस्यान का निमा न्अ क्युं मानो छो जस्यान
नगर की खास गळ्यां क गाब्अ सुं होर बेरी छी। नन्दी की दोनी तीरां प्अ जन्दगी का रूंखड़ा उगमेल्या छा। वाप्अ हरेक बरस बारा फसला लाग्अ छी। उंक्अ हरेक रूंखड़ा प्अ हर मिना एक फसल लाग्अ छी अर वा रूंखड़ा का पत्ता सबळी जात्या का मनखा न्अ निरोगो करबा बेई छा।