ह भाईवो, थां बेई म्हान्अ हमेसा परमेसर को धन्यवाद करणी चायजे, अस्यान करबो सई बी छ। क्युं क थांको बस्वास अणोता रूप सुं बढर्यो छ अर थांक्अ बीच को परेम बी बढर्यो छ।
ह लुगायांओ, थे बी खूदका मोट्यारां को खियो मानो। जिसुं क याम्अ सुं कोई अस्यान का होव्अ ज्यो बचन कोन्अ मान्अ, तोबी थांका भय की लार पवितर चाल-चलण सुं, बना बचन ही खुदकी लुगायां का चाल-चलण सुं खची आजाव्अ।
क्युं क बा बगत आगी, क पेली परमेसर का मनखा को न्याऊ होव्अ, अर जद न्याऊ आपसुं ही सुरू होव्अलो तो बांको अन्त कांई होव्अलो ज्यो परमेसर का चोखा समचार न्अ कोन मान्अ?