पण आपा ईसु न्अ ज्यो सरगदूता सुं थोड़ोई कम कर्योग्यो छो, बीन्अ मोत की पीड़ा भोगबा की बजेसुं महमा अर आदर को मुकुट पेर्यो देखां छा। क परमेसर की दीया सुं हरेक मनख बेई मोत को सुवाद चाख्अ।
वे ई बात न्अ खोज नखाळ्या क मसी को आत्मा ज्यो बाम्अ छ, अर ज्यो पेली सुं ही मसी का दुखा की अर बीक्अ पाछ्अ होबाळी मेमा की गुवाई देव्अ छो, वो कांई का बारा मं अर कसी बगत का बारा मं असारो करर्यो छो।