परमेसर की ओलाद का रूप मं वे न्अ तो कुदरती तरीका सुं पैदा होया छा, न्अ काया की मन्सा सुं अर न्अ माई-बाप की मन्सा सुं। पण वे परमेसर की मन्सा सुं आत्मिक रूप सुं पैदा होया छा।
फेर मन्अ कांच की जस्यान को आग को सागर दिख्यो। फेर म देख्यो क वे बी ड़रावणा ज्यानबर की मूरती माळ्अ अर बीका नांऊ की गणती का आंक माळ्अ जीत पा लिया, वे बी सागर माळ्अ परमेसर की दियेड़ी सारंग्या लेर उबा छा।
जीक्अ कान होव्अ, वो सुणले क आत्मा बस्वास्या की टोळी सुं कांई खेव्अ छ। ज्यो जय पाव्अलो, म बीन्अ परमेसर का बाग मं लागेड़ा जन्दगी का रूंखड़ा को फळ खाबा को अधिकार देऊला।”
ज्यो जीत्अलो, बीन्अ म परमेसर का मन्दर को खम्बो बणाऊलो अर वे कद्या बी उण्डअ सुं बारअ कोन जाव्अला। अर म बी माळ्अ म्हारा परमेसर को नांऊ अर परमेसर की नगरी नया यरूसलेम को ज्यो सरग सुं उतरबाळो छ बीको नांऊ अर म्हारो नयो नांऊ मांडूलो।
ज्यो जीत्अलो वो अस्यान'ई धोळा लत्ता पेरअलो। म जन्दगी की कताब सुं बीको नांऊ कोन मेटुलो, पण म बीका नांऊ न्अ परम बाप अर बीका सरगदूता क सांम्अ मान लेऊलो क वे म्हारा छ।