2 परमेसर का आत्मा न्अ थे अस्यान पेचाण सको छो, उं हरेक मनख की आत्मा परमेसर की ओड़ी सुं छ ज्यो या मान्अ क, “ईसु मसी मनख का रुप मं परमेसर की ओड़ी सुंई धरती प आयो छ।”
उंई जन्दगी को ज्ञान मान्अ दियो गियो छ। म्हे उन्अ देख्या छा अर म्हे उंका गुवा छा, अर अब थान्अ सदामेस की जन्दगी को समचार सुणावा छा क ज्यो पिता परमेसर की लार छो अर म्हाप्अ परगट होयो छ।
अर हरेक वा आत्मा ज्यो ईसु का बारा मं ई बात न्अ कोन मान्अ वा परमेसर की ओड़ी सुं कोन्अ। वा तो मसी का बेरी की आत्मा छ, जिका बारा मं थे सुण्या छ क वो आर्यो छ, अर अबार बी संसार मेई छ।