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- Sanasan -




फ़िलिप्पियों 4:6 - किताब-ए मुक़द्दस

6 अपनी किसी भी फ़िकर में उलझकर परेशान न हो जाएँ बल्कि हर हालत में दुआ और इल्तिजा करके अपनी दरख़ास्तें अल्लाह के सामने पेश करें। ध्यान रखें कि आप यह शुक्रगुज़ारी की रूह में करें।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

6 किसी बात की फ़िक्र न करो, बल्कि हर एक बात में तुम्हारी दरख़्वास्तें दुआ और मिन्नत के वसीले से शुक्रगुज़ारी के साथ ख़ुदा के सामने पेश की जाएँ।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

उर्दू हमअस्र तरजुमा

6 किसी बात की फ़िक्र न करो, और अपनी सब दुआओं में ख़ुदा के सामने अपनी ज़रूरतें, और मन्नतें शुक्र गुज़ारी के साथ ख़ुदा के सामने पेश किया करो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




फ़िलिप्पियों 4:6
45 Iomraidhean Croise  

ऐ रब मेरे ख़ुदा, तो भी अपने ख़ादिम की दुआ और इल्तिजा सुन जब मैं आज तेरे हुज़ूर पुकारते हुए इलतमास करता हूँ


फिर हिज़क़ियाह बादशाह और आमूस के बेटे यसायाह नबी ने चिल्लाते हुए आसमान पर तख़्तनशीन ख़ुदा से इलतमास की।


ऐ रब, मेरे होंटों को खोल ताकि मेरा मुँह तेरी सताइश करे।


मैं हर वक़्त आहो-ज़ारी करता और कराहता रहता हूँ, ख़ाह सुबह हो, ख़ाह दोपहर या शाम। और वह मेरी सुनेगा।


अपना बोझ रब पर डाल तो वह तुझे सँभालेगा। वह रास्तबाज़ को कभी डगमगाने नहीं देगा।


ऐ उम्मत, हर वक़्त उस पर भरोसा रख! उसके हुज़ूर अपने दिल का रंजो-अलम पानी की तरह उंडेल दे। अल्लाह ही हमारी पनाहगाह है। (सिलाह)


रब बेदीनों की क़ुरबानी से घिन खाता, लेकिन सीधी राह पर चलनेवालों की दुआ से ख़ुश होता है।


जो कुछ भी तू करना चाहे उसे रब के सुपुर्द कर। तब ही तेरे मनसूबे कामयाब होंगे।


ऐ मेरी कबूतरी, चटान की दराड़ों में छुपी न रह, पहाड़ी पत्थरों में पोशीदा न रह बल्कि मुझे अपनी शक्ल दिखा, मुझे अपनी आवाज़ सुनने दे, क्योंकि तेरी आवाज़ शीरीं, तेरी शक्ल ख़ूबसूरत है।”


बारूक बिन नैरियाह को इंतक़ालनामा देने के बाद मैंने रब से दुआ की,


मुझे पुकार तो मैं तुझे जवाब में ऐसी अज़ीम और नाक़ाबिले-फ़हम बातें बयान करूँगा जो तू नहीं जानता।


सद्रक, मीसक और अबद-नजू ने जवाब दिया, “ऐ नबूकदनज़्ज़र, इस मामले में हमें अपना दिफ़ा करने की ज़रूरत नहीं है।


जब दानियाल को मालूम हुआ कि फ़रमान सादिर हुआ है तो वह सीधा अपने घर में चला गया। छत पर एक कमरा था जिसकी खुली खिड़कियों का रुख़ यरूशलम की तरफ़ था। इस कमरे में दानियाल रोज़ाना तीन बार अपने घुटने टेककर दुआ और अपने ख़ुदा की सताइश करता था। अब भी उसने यह सिलसिला जारी रखा।


जब वह तुम्हें गिरिफ़्तार करेंगे तो यह सोचते सोचते परेशान न हो जाना कि मैं क्या कहूँ या किस तरह बात करूँ। उस वक़्त तुमको बताया जाएगा कि क्या कहना है,


ख़ुदरौ काँटेदार पौदों के दरमियान गिरे हुए दाने वह लोग हैं जो कलाम सुनते तो हैं, लेकिन फिर रोज़मर्रा की परेशानियाँ और दौलत का फ़रेब कलाम को फलने फूलने नहीं देता। नतीजे में वह फल लाने तक नहीं पहुँचता।


इसलिए कल के बारे में फ़िकर करते करते परेशान न हो क्योंकि कल का दिन अपने लिए आप फ़िकर कर लेगा। हर दिन की अपनी मुसीबतें काफ़ी हैं।


उनकी मानिंद न बनो, क्योंकि तुम्हारा बाप पहले से तुम्हारी ज़रूरियात से वाक़िफ़ है,


लेकिन ख़ुदावंद ईसा ने जवाब में कहा, “मर्था, मर्था, तू बहुत-सी फ़िकरों और परेशानियों में पड़ गई है।


फिर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “इसलिए अपनी ज़िंदगी की ज़रूरियात पूरी करने के लिए परेशान न रहो कि हाय, मैं क्या खाऊँ। और जिस्म के लिए फ़िकरमंद न रहो कि हाय, मैं क्या पहनूँ।


इसकी तलाश में न रहना कि क्या खाओगे या क्या पियोगे। ऐसी बातों की वजह से बेचैन न रहो।


फिर ईसा ने उन्हें एक तमसील सुनाई जो मुसलसल दुआ करने और हिम्मत न हारने की ज़रूरत को ज़ाहिर करती है।


अगर उसने आख़िरकार इनसाफ़ किया तो क्या अल्लाह अपने चुने हुए लोगों का इनसाफ़ नहीं करेगा जो दिन-रात उसे मदद के लिए पुकारते हैं? क्या वह उनकी बात मुलतवी करता रहेगा?


क्या आप ग़ुलाम थे जब ख़ुदावंद ने आपको बुलाया? यह बात आपको परेशान न करे। अलबत्ता अगर आपको आज़ाद होने का मौक़ा मिले तो इससे ज़रूर फ़ायदा उठाएँ।


मैं तो चाहता हूँ कि आप फ़िकरों से आज़ाद रहें। ग़ैरशादीशुदा शख़्स ख़ुदावंद के मामलों की फ़िकर में रहता है कि किस तरह उसे ख़ुश करे।


आप भी अपनी दुआओं से हमारी मदद कर रहे हैं। यह कितनी ख़ूबसूरत बात है कि अल्लाह बहुतों की दुआओं को सुनकर हम पर मेहरबानी करेगा और नतीजे में बहुतेरे हमारे लिए शुक्र करेंगे।


हाँ, हर वक़्त हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के नाम में हर चीज़ के लिए ख़ुदा बाप का शुक्र करें।


और हर मौक़े पर रूह में हर तरह की दुआ और मिन्नत करते रहें। जागते और साबितक़दमी से तमाम मुक़द्दसीन के लिए दुआ करते रहें।


मसीह की सलामती आपके दिलों में हुकूमत करे। क्योंकि अल्लाह ने आपको इसी सलामती की ज़िंदगी गुज़ारने के लिए बुलाकर एक बदन में शामिल कर दिया है। शुक्रगुज़ार भी रहें।


और जो कुछ भी आप करें ख़ाह ज़बानी हो या अमली वह ख़ुदावंद ईसा का नाम लेकर करें। हर काम में उसी के वसीले से ख़ुदा बाप का शुक्र करें।


दुआ में लगे रहें। और दुआ करते वक़्त शुक्रगुज़ारी के साथ जागते रहें।


पहले मैं इस पर ज़ोर देना चाहता हूँ कि आप सबके लिए दरख़ास्तें, दुआएँ, सिफारिशें और शुक्रगुज़ारियाँ पेश करें,


जो औरत वाक़ई ज़रूरतमंद बेवा और तनहा रह गई है वह अपनी उम्मीद अल्लाह पर रखकर दिन-रात अपनी इल्तिजाओं और दुआओं में लगी रहती है।


तमाम चीज़ों का ख़ातमा क़रीब आ गया है। चुनाँचे दुआ करने के लिए चुस्त और होशमंद रहें।


अपनी तमाम परेशानियाँ उस पर डाल दें, क्योंकि वह आपकी फ़िकर करता है।


हन्ना ने जवाब दिया, “मेरे आक़ा, ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने न मै, न कोई और नशा-आवर चीज़ चखी है। बात यह है कि मैं बड़ी रंजीदा हूँ, इसलिए रब के हुज़ूर अपने दिल की आहो-ज़ारी उंडेल दी है।


दाऊद की जान बड़े ख़तरे में आ गई, क्योंकि उसके मर्द ग़म के मारे आपस में उसे संगसार करने की बातें करने लगे। क्योंकि बेटे-बेटियों के छिन जाने के बाइस सब सख़्त रंजीदा थे। लेकिन दाऊद ने रब अपने ख़ुदा में पनाह लेकर तक़वियत पाई।


इस फ़तह की याद में समुएल ने मिसफ़ाह और शेन के दरमियान एक बड़ा पत्थर नसब कर दिया। उसने पत्थर का नाम अबन-अज़र यानी ‘मदद का पत्थर’ रखा। क्योंकि उसने कहा, “यहाँ तक रब ने हमारी मदद की है।”


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