फ़िलिप्पियों 3:9 - किताब-ए मुक़द्दस9 और उसमें पाया जाऊँ। लेकिन मैं इस नौबत तक अपनी उस रास्तबाज़ी के ज़रीए नहीं पहुँच सकता जो शरीअत के ताबे रहने से हासिल होती है। इसके लिए वह रास्तबाज़ी ज़रूरी है जो मसीह पर ईमान लाने से मिलती है, जो अल्लाह की तरफ़ से है और जो ईमान पर मबनी होती है। Faic an caibideilइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 20199 और उस में पाया जाऊँ, न अपनी उस रास्तबाज़ी के साथ जो शरी'अत की तरफ़ से है, बल्कि उस रास्तबाज़ी के साथ जो मसीह पर ईमान लाने की वजह से है और ख़ुदा की तरफ़ से ईमान पर मिलती है; Faic an caibideilउर्दू हमअस्र तरजुमा9 और अलमसीह में पाया जाऊं, लेकिन अपनी शरीअत वाली रास्तबाज़ी के साथ नहीं, बल्के उस रास्तबाज़ी के साथ जो अलमसीह पर ईमान लाने से हासिल होती है। यह रास्तबाज़ी ख़ुदा की तरफ़ से है और ईमान की बुनियाद पर मब्नी है। Faic an caibideil |
लेकिन हम जानते हैं कि इनसान को शरीअत की पैरवी करने से रास्तबाज़ नहीं ठहराया जाता बल्कि ईसा मसीह पर ईमान लाने से। हम भी मसीह ईसा पर ईमान लाए हैं ताकि हमें रास्तबाज़ क़रार दिया जाए, शरीअत की पैरवी करने से नहीं बल्कि मसीह पर ईमान लाने से। क्योंकि शरीअत की पैरवी करने से किसी को भी रास्तबाज़ क़रार नहीं दिया जाएगा।