अब दीबोन के बाशिंदे मातम करने के लिए अपने मंदिर और पहाड़ी क़ुरबानगाहों की तरफ़ चढ़ रहे हैं। मोआब अपने शहरों नबू और मीदबा पर वावैला कर रहा है। हर सर मुंडा हुआ और हर दाढ़ी कट गई है।
मेरा दिल मोआब को देखकर रो रहा है। उसके मुहाजिरीन भागकर ज़ुग़र और इजलत-शलीशियाह तक पहुँच रहे हैं। लोग रो रोकर लूहीत की तरफ़ चढ़ रहे हैं, वह होरोनायम तक जानेवाले रास्ते पर चलते हुए अपनी तबाही पर गिर्याओ-ज़ारी कर रहे हैं।
“रब फ़रमाता है कि शिमाल से पानी आ रहा है जो सैलाब बनकर पूरे मुल्क को ग़रक़ कर देगा। पूरा मुल्क शहरों और बाशिंदों समेत उसमें डूब जाएगा। लोग चीख़ उठेंगे, और मुल्क के तमाम बाशिंदे आहो-ज़ारी करेंगे।
हसबोन में लोग मदद के लिए पुकार रहे हैं, उनकी आवाज़ इलियाली और यहज़ तक सुनाई दे रही है। इसी तरह ज़ुग़र की चीख़ें होरोनायम और इजलत-शलीशियाह तक पहुँच गई हैं। क्योंकि निमरीम का पानी भी ख़ुश्क हो जाएगा।”