रब फ़रमाता है, “दीगर अक़वाम की बुतपरस्ती मत अपनाना। यह लोग इल्मे-नुजूम से मुस्तक़बिल जान लेने की कोशिश करते करते परेशान हो जाते हैं, लेकिन तुम उनकी बातों से परेशान न हो जाओ।
‘ऐ यहूदाह के बादशाह, रब का फ़रमान सुन! ऐ तू जो दाऊद के तख़्त पर बैठा है, अपने मुलाज़िमों और महल के दरवाज़ों में आनेवाले लोगों समेत मेरी बात पर ग़ौर कर!
इनमें मिसर, यहूदाह, अदोम, अम्मोन, मोआब और वह शामिल हैं जो रेगिस्तान के किनारे किनारे रहते हैं। क्योंकि गो यह तमाम अक़वाम ज़ाहिरी तौर पर ख़तना की रस्म अदा करती हैं, लेकिन उनका ख़तना बातिनी तौर पर नहीं हुआ। ध्यान दो कि इसराईल की भी यही हालत है।”
ऐ इसराईलियो, रब का कलाम सुनो! क्योंकि रब का मुल्क के बाशिंदों से मुक़दमा है। “इलज़ाम यह है कि मुल्क में न वफ़ादारी, न मेहरबानी और न अल्लाह का इरफ़ान है।
एक और वजह है कि हम हर वक़्त ख़ुदा का शुक्र करते हैं। जब हमने आप तक अल्लाह का पैग़ाम पहुँचाया तो आपने उसे सुनकर यों क़बूल किया जैसा यह हक़ीक़त में है यानी अल्लाह का कलाम जो इनसानों की तरफ़ से नहीं है और जो आप ईमानदारों में काम कर रहा है।