अबियातर इमाम से बादशाह ने कहा, “अब यहाँ से चले जाएँ। अनतोत में अपने घर में रहें और वहाँ अपनी ज़मीनें सँभालें। गो आप सज़ाए-मौत के लायक़ हैं तो भी मैं इस वक़्त आपको नहीं मार दूँगा, क्योंकि आप मेरे बाप दाऊद के सामने रब क़ादिरे-मुतलक़ के अहद का संदूक़ उठाए हर जगह उनके साथ गए। आप मेरे बाप के तमाम तकलीफ़देह और मुश्किलतरीन लमहात में शरीक रहे हैं।”