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- Sanasan -




2 तीमु 4:8 - किताब-ए मुक़द्दस

8 और अब एक इनाम तैयार पड़ा है, रास्तबाज़ी का वह ताज जो ख़ुदावंद हमारा रास्त मुंसिफ़ मुझे अपनी आमद के दिन देगा। और न सिर्फ़ मुझे बल्कि उन सबको जो उस की आमद के आरज़ूमंद रहे हैं।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

8 आइन्दा के लिए मेरे वास्ते रास्तबाज़ी का वो ताज रखा हुआ है, जो आदिल मुन्सिफ़ या'नी ख़ुदावन्द मुझे उस दिन देगा और सिर्फ़ मुझे ही नहीं बल्कि उन सब को भी जो उस के ज़हूर के आरज़ूमन्द हों।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

उर्दू हमअस्र तरजुमा

8 मुस्तक़बिल में मेरे लिये रास्तबाज़ी का वो ताज रख्खा हुआ है, जो आदिल और मुन्सिफ़ ख़ुदावन्द मुझे अपने दुबारा आमद के दिन अता फ़रमायेगा। और न सिर्फ़ मुझे बल्के उन सब को भी जो ख़ुदावन्द की आमद के आरज़ूमन्द हैं।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




2 तीमु 4:8
39 Iomraidhean Croise  

यह कैसे हो सकता है कि तू बेक़ुसूरों को शरीरों के साथ हलाक कर दे? यह तो नामुमकिन है कि तू नेक और शरीर लोगों से एक जैसा सुलूक करे। क्या लाज़िम नहीं कि पूरी दुनिया का मुंसिफ़ इनसाफ़ करे?”


तेरी भलाई कितनी अज़ीम है! तू उसे उनके लिए तैयार रखता है जो तेरा ख़ौफ़ मानते हैं, उसे उन्हें दिखाता है जो इनसानों के सामने से तुझमें पनाह लेते हैं।


अल्लाह आदिल मुंसिफ़ है, ऐसा ख़ुदा जो रोज़ाना लोगों की सरज़निश करता है।


तब वह तेरे सर को ख़ूबसूरत सेहरे से आरास्ता करेगी और तुझे शानदार ताज से नवाज़ेगी।”


रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “जिस दिन मैं हरकत में आऊँगा उस दिन वह मेरी ख़ास मिलकियत होंगे। मैं उन पर यों रहम करूँगा, जिस तरह बाप अपने उस बेटे पर तरस खाता है जो उस की ख़िदमत करता है।


लेकिन किसी को भी इल्म नहीं कि यह किस दिन या कौन-सी घड़ी रूनुमा होगा। आसमान के फ़रिश्तों और फ़रज़ंद को भी इल्म नहीं बल्कि सिर्फ़ बाप को।


अदालत के दिन बहुत-से लोग मुझसे कहेंगे, ‘ऐ ख़ुदावंद, ख़ुदावंद! क्या हमने तेरे ही नाम में नबुव्वत नहीं की, तेरे ही नाम से बदरूहें नहीं निकालीं, तेरे ही नाम से मोजिज़े नहीं किए?’


मैं तुमको बताता हूँ कि उस दिन उस शहर की निसबत सदूम का हाल ज़्यादा क़ाबिले-बरदाश्त होगा।


लेकिन तू हटधर्म है, तू तौबा करने के लिए तैयार नहीं और यों अपनी सज़ा में इज़ाफ़ा करता जा रहा है, वह सज़ा जो उस दिन दी जाएगी जब अल्लाह का ग़ज़ब नाज़िल होगा, जब उस की रास्त अदालत ज़ाहिर होगी।


न सिर्फ़ कायनात बल्कि हम ख़ुद भी अंदर ही अंदर कराहते हैं, गो हमें आनेवाले जलाल का पहला फल रूहुल-क़ुद्स की सूरत में मिल चुका है। हम कराहते कराहते शिद्दत से इस इंतज़ार में हैं कि यह बात ज़ाहिर हो जाए कि हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं और हमारे बदनों को नजात मिले।


दानाई के बारे में पाक नविश्ते भी यही कहते हैं, “जो न किसी आँख ने देखा, न किसी कान ने सुना, और न इनसान के ज़हन में आया, उसे अल्लाह ने उनके लिए तैयार कर दिया जो उससे मुहब्बत रखते हैं।”


लेकिन आख़िर में हर एक का काम ज़ाहिर हो जाएगा। क़ियामत के दिन कुछ पोशीदा नहीं रहेगा बल्कि आग सब कुछ ज़ाहिर कर देगी। वह साबित कर देगी कि हर किसी ने कैसा काम किया है।


खेलों में शरीक होनेवाला हर शख़्स अपने आपको सख़्त नज़मो-ज़ब्त का पाबंद रखता है। वह फ़ानी ताज पाने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन हम ग़ैरफ़ानी ताज पाने के लिए।


इसलिए हम इस झोंपड़ी में कराहते हैं और आसमानी घर पहन लेने की शदीद आरज़ू रखते हैं,


इस उम्मीद में कि मैं किसी न किसी तरह मुरदों में से जी उठने की नौबत तक पहुँचूँगा।


आपका यह ईमान और मुहब्बत वह कुछ ज़ाहिर करते हैं जिसकी आप उम्मीद रखते हैं और जो आसमान पर आपके लिए महफ़ूज़ रखा गया है। और आपने यह उम्मीद उस वक़्त से रखी है जब से आपने पहली मरतबा सच्चाई का कलाम यानी अल्लाह की ख़ुशख़बरी सुनी।


लोग यह भी कह रहे हैं कि अब आप इस इंतज़ार में हैं कि अल्लाह का फ़रज़ंद आसमान पर से आए यानी ईसा जिसे अल्लाह ने मुरदों में से ज़िंदा कर दिया और जो हमें आनेवाले ग़ज़ब से बचाएगा।


लेकिन आप भाइयो तारीकी की गिरिफ़्त में नहीं हैं, इसलिए यह दिन चोर की तरह आप पर ग़ालिब नहीं आना चाहिए।


फिर ही “बेदीनी का आदमी” ज़ाहिर होगा। लेकिन जब ख़ुदावंद ईसा आएगा तो वह उसे अपने मुँह की फूँक से मार डालेगा, ज़ाहिर होने पर ही वह उसे हलाक कर देगा।


यों वह अपने लिए एक अच्छा ख़ज़ाना जमा करेंगे यानी आनेवाले जहान के लिए एक ठोस बुनियाद जिस पर खड़े होकर वह हक़ीक़ी ज़िंदगी पा सकेंगे।


लेकिन अब हमारे नजातदहिंदा मसीह ईसा की आमद से ज़ाहिर हुआ। मसीह ही ने मौत को नेस्त कर दिया। उसी ने अपनी ख़ुशख़बरी के ज़रीए लाफ़ानी ज़िंदगी रौशनी में लाकर हम पर ज़ाहिर कर दी है।


इसी वजह से मैं दुख उठा रहा हूँ। तो भी मैं शर्माता नहीं, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ जिस पर में ईमान लाया हूँ, और मुझे पूरा यक़ीन है कि जो कुछ मैंने उसके हवाले कर दिया है उसे वह अपनी आमद के दिन तक महफ़ूज़ रखने के क़ाबिल है।


ख़ुदावंद करे कि वह क़ियामत के दिन ख़ुदावंद से रहम पाए। आप ख़ुद बेहतर जानते हैं कि उसने इफ़िसुस में कितनी ख़िदमत की।


इसी तरह खेल के मुक़ाबले में हिस्सा लेनेवाले को सिर्फ़ इस सूरत में इनाम मिल सकता है कि वह क़वायद के मुताबिक़ ही मुक़ाबला करे।


मैं अल्लाह और मसीह ईसा के सामने जो ज़िंदों और मुरदों की अदालत करेगा और उस की आमद और बादशाही की याद दिलाकर संजीदगी से इसकी ताकीद करता हूँ,


साथ साथ यह तरबियत उस मुबारक दिन का इंतज़ार करने में हमारी मदद करती है जिसकी उम्मीद हम रखते हैं और जब हमारे अज़ीम ख़ुदा और नजातदहिंदा ईसा मसीह का जलाल ज़ाहिर हो जाएगा।


जब हमारी तरबियत की जाती है तो उस वक़्त हम ख़ुशी महसूस नहीं करते बल्कि ग़म। लेकिन जिनकी तरबियत इस तरह होती है वह बाद में रास्तबाज़ी और सलामती की फ़सल काटते हैं।


इसी तरह मसीह को भी एक ही बार बहुतों के गुनाहों को उठाकर ले जाने के लिए क़ुरबान किया गया। दूसरी बार जब वह ज़ाहिर होगा तो गुनाहों को दूर करने के लिए ज़ाहिर नहीं होगा बल्कि उन्हें नजात देने के लिए जो शिद्दत से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।


मुबारक है वह जो आज़माइश के वक़्त साबितक़दम रहता है, क्योंकि क़ायम रहने पर उसे ज़िंदगी का वह ताज मिलेगा जिसका वादा अल्लाह ने उनसे किया है जो उससे मुहब्बत रखते हैं।


एक ऐसी मीरास जो कभी नहीं सड़ेगी, कभी नहीं नापाक हो जाएगी और कभी नहीं मुरझाएगी। क्योंकि यह आसमान पर आपके लिए महफ़ूज़ रखी गई है।


फिर जब हमारा सरदार गल्लाबान ज़ाहिर होगा तो आपको जलाल का ग़ैरफ़ानी ताज मिलेगा।


देखें, वह बादलों के साथ आ रहा है। हर एक उसे देखेगा, वह भी जिन्होंने उसे छेदा था। और दुनिया की तमाम क़ौमें उसे देखकर आहो-ज़ारी करेंगी। हाँ, ऐसा ही हो! आमीन।


फिर मैंने आसमान को खुला देखा। एक सफ़ेद घोड़ा नज़र आया जिसके सवार का नाम “वफ़ादार और सच्चा” है, क्योंकि वह इनसाफ़ से अदालत और जंग करता है।


जो कुछ तुझे झेलना पड़ेगा उससे मत डरना। देख, इबलीस तुझे आज़माने के लिए तुममें से बाज़ को जेल में डाल देगा, और दस दिन तक तुझे ईज़ा पहुँचाई जाएगी। मौत तक वफ़ादार रह तो मैं तुझे ज़िंदगी का ताज दूँगा।


जो इन बातों की गवाही देता है वह फ़रमाता है, “जी हाँ! मैं जल्द ही आने को हूँ।” “आमीन! ऐ ख़ुदावंद ईसा आ!”


तो 24 बुज़ुर्ग तख़्त पर बैठनेवाले के सामने मुँह के बल होकर उसे सिजदा करते हैं जो अज़ल से अबद तक ज़िंदा है। साथ साथ वह अपने सोने के ताज तख़्त के सामने रखकर कहते हैं,


यह तख़्त 24 तख़्तों से घिरा हुआ था जिन पर 24 बुज़ुर्ग बैठे थे। बुज़ुर्गों के लिबास सफ़ेद थे और हर एक के सर पर सोने का ताज था।


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