23 मोर इअ दुन्हुक बिचा निरनय करेके गारह भेलइ। इअ संसारसे बिदा लेके ख्रिस्टसाङे रहेके इछा बडइ, केहकेकि इअ मोर तहिँया खाँ यसल बडइ।
मुइ एगुडा खाँ दुःखक बप्तिस्मा लेवे परतइ हसे उअ बप्तिस्मा नाहिँ लेइकलइ मुइ व्याकुल हखबहिँ।
तब येसुजि उअ अपरधियाके कहलसि, “सदियो मुइ तोरके कहइ बडहिँ, यजुहिँ तुइ मोरसाङे स्वरगलोकमा हखबहि।”
जुन मन्सावासे भुत निकडल रहलइ, उअ येसुजिके यसके कहके बिन्ति करलिय, “गुरुजि, यपनहुँसाङे मोरके फेनि जाए देहुँ।” बाकि येसुजि वकरेके यसके कहलसि,
यगर कुनहुँ मोर सेवा करे चाहतइ जउँ उअ मोर पाछा लगिय हसे मुइ जहवाँ रहबहिँ, मोर सेवक फेनि वहवाँहिँ रहबिय। यगर कुनहुँ मोर सेवा करतइ जउँ पिता वकरके यादर करबसि।
निस्तार-पबनियाक यागाक बात हखइ। इअ संसारके छाडके पिता लघिना जायके जुन यासकल बडइ कहके येसुजिक थाह रहलइ। हुने संसारमा भेलि यापन छानलि मन्सावानिके सबदिन प्रेम करसि हसे हुने हुनुकाके अन्तिम जुनवालइ प्रेम करलसि।
मुइ जाके तोहार तहिँया ठउरि तयार पारके फेरि यबहिँ हसे तोहराके यापनसाङे लिगबहिँ, ताकि मुइ जहवाँ रहबहिँ तोहरा फेनि वहवाँहिँ रहिह।
“हे पिता, मुइ इछा करबहिँ कि, यपनहुँ जकरेके मोरके देले बडहुँ हुनुका मोरसाङे रहइ जहवाँ मुइ बडहिँ हसे मोर महिमा देखइ, जुन महिमा यपनहुँ मोरके संसारक सिरिस्टि हखलिक यगाहेसे मोरके प्रेम करलेसे देलहुँ।
हुनुका पत्थरासे ढोकहरइकि स्तिफनस यसके परथाना करलिय, “हे प्रभु येसुजि, मोर आत्माके लेहुँ।”
हमरा हरेस हइने खेसहुँ हसे हमरा बरु इअ देहियासे यलग भके प्रभुसाङे स्वरगमा रहना ठउरियामा हमरा रहे चाहसहुँ।
हमार प्रेम तोहारपर कम हइने भेल बडइ, बरु तोहार प्रेम हमार पर कम भेल बडइ।
बाकि तोहार तहिँया मुइ इअ धरतियामा बचइ रहेके झन आवस्यक बडइ।
हेरह प्रियसभ, तोहारसाङे हमार भेटघाट व्यरथ हइने भेलइ कहके तोहार थाह बडइ।
उहेसे हमरा फेनि सबदिन परमेस्वरके धन्यवाद देसहुँ, केहकेकि जुन परमेस्वरक वचन हमरा तोहराके सुनोलहुँ, तोहरा उअ वचनवाके मन्सेक बात हखइ कहके हइने, बाकि वास्तवमा परमेस्वरक सत्य वचन हखइ कहके सुनके गरहन करलह। उअ वचनवा तोहार विस्वासिसभक जिवनमा काम करइ बडइ।
तब हमरा जतेक जन जिउते बडहुँ, हमरा प्रभुके यकसावामा भेटेके तहिँया हुनुकरसाङे बदरियामा उठाके लिगेबहुँ हसे हमरा सबदिन प्रभुसाङे रहबहुँ।
केहकेकि मुइ त भोग हखे जाइ बडहिँ हसे मोर बिदा हखेके जुन लजिके यासकल बडइ।
तब स्वरगसे यसके कहइकि स्वर मुइ सुनलहिँ, “इअ लिखहि: याबेसे जतेक जन विस्वास करके प्रभुक सेवा करइकि मरतइ, हुनुका धन्यक हखइ।” पवितर-आत्मा यसके कहससि, “इअ सत्य हखइ, हुनुका यापन-यापन दुःखक परिसरमसे बिसाए पउतइ, केहकेकि हुनुकर करलि असल कामक इनाम हुनुका पउतइ।”