9 अपड़ि छाति पन तैन्हैं लोहैरू बणोरू जिहीं कवच लाउरू थियु। जेख्णी सैक्यै उडरतै थ्यै, ता सै ऐतेई आवाज करींथ्यै जिहीं केही घौड़ै लड़ाई पन गांहणारा रत्था छिकणार कातै।
सैक्यै घौड़ै जां सवार सैनिक जै मीं दर्शना मझ तकाय, तैन्हांं केरी छातिरी रक्षा कांनार कवच आगी सैयि लाल, नीलु जां गन्धका सैयि हअदरै रंगैरू थियु। घौड़ा केरू शिर शैरा सैयि लगतु थियु जां तैन्हांं केरू मुँहा किना आग, धुआँ जां गन्धक निकूंथै थ्यै।