1 ऐत किना बाद जै सिंघासना पन बेठौरा थ्या, मीं तेसेरै सुमलै हत्था अक किताब तकाई, जेसेरै दोईयो पासै लिखोरू थियु जां तैस पन सत्त मौहरी ला करि छडोरी थी।
तेसैरा सुमला पैयिड़ समुन्द्रा मझ जां तेसैरा उमला पैयिड़ धरती पन थ्या। तेसेरै हत्था मझ अक हल्की तेयि किताब थी जै खुली थी।
सैक्या जै सिंघासना पन बेठौरा थ्या, तेसैरा रंग कीमति पत्थरा यशब जां माणिक्य सैयि आ। तैस सिंघासना चोउवो पासै अक इन्द्रधनष आ, जां ऐ तकांणानि पन्ना पत्थरा सैयि आ।
जै सिंघासना पन बेठौरा, सैहै आ जै हमेशा- हमेशा तेईनी जींता। जींतै जीव तेसनी आदर जां धन्यवाद दींतै, जां जेख्णी बि सैक्यै ऐहीं कातै, ता सैक्यै चोब्बी पूर्वज तेसेरै सांमणै छिढ़ि गांहथै जां तेसैरी अराधना कातै। सैक्यै ऐहीं बोलतै-बोलतै अपड़ै-अपड़ै मुकुट सिंघासना सांमणै सुटि दींतै, कि
तां फिरी मीं स्वर्गा मझ, धरती पन, धरती थल्लै समुन्द्रेरी बंणाउरी सारी चीजै जां सभ किछ जै तैन्हांं मझ आ, ऐ बोलतै शुणै, “ऐईछा असै सिंघासना पन बेठौरैरी जां मेम्नेरी स्तुति जां आदर जां महिमा हमेशा-हमेशा तेईनी कातै रिय्हा, केईनी कि सै सभनियांं जादा शक्तिशाली आ।”
तेनी मेम्ने अघ्रियालीं ऐईछी करि, जै सिंघासना पन बेठौरा थ्या, सैकेई किताब तेसेरै हत्था किना लै लैयि।
तां मीं तकाउ कि मेम्ने तैन्हांं सत्ता मौहरा मझां अक मौहर खोलि जां मीं तैन्हांं चोउवा जीवा मझां अक जीव हक दींता शुणा, जेसैरी आवाज गुणूंणा काति थी। तेनी बौलु, अबै गहा।
जां पहाड़ा जां घोड़िया सिंउ बोलणा लगै, कि “असु पन छिढि गहा जां असुवां तैस किना छपा लै; ताकि सै जै सिंघासना पन बेठौरा, असुवां लहि ना लिया जां मेम्नेरी सजाय किना बचि सकिया।
मेम्ने जेख्णी सत्तवीं मौहर खोलि ता सैक्यै सभ जै स्वर्गा मझ थ्यै, अधा घन्टा शान्त भौ गियै।