9 “जेख्णी धरतिरै राजै जैन्हैं तैस सिंउ व्याभिचार जां मजै कियै, जेख्णी तेसैरा फुकियूंणैरा धुंवारा तकांणा, ता तैन्हांं तेसेरै तेईनी हिक पिटणी जां लैरी दींणी।”
पण जुवान विधवायरू नाँ लिष्टी मझ मेईं लिखतै, केईनी कि जेख्णी तेन्हेरी शरीरिक ईच्छाय मसीहरी सेवा कांनेरै वायदै किना जादी मजबूत भौ गांहथी ता सै दुबारे ब्याह कांना चांहथी।
आगिरा धूँ जै खड़ा ऐईंता, तेनी ला हमेशा तेन्हांनि दुख मेईंणा। जै मैहणु तैस रागसैरी जां तैस मूर्तिरी पूजा कातै जां तैस छापि लुवांतै, तैन्हांं मैहणुवंनी रात-धियाड़ि सै नरकेरी सजा मेईंती रींहणी।”
जैस सिंउ धरतिरै राजै व्यभिचार केया, जां धरती पन रींहणारै तेसेरै व्यभिचारेरी मदिराय मझ मघन भौ गियोरै थ्यै।”
जेख्णी सै आग जै शहरा फुकति आ, तेसैरा धूँ तकांणा, ता तैन्हांं चिंडै दींणी जां बोलणु, कि ऐस महान शहरा सैयि हौरा कोई शहर ना भुआ।
तु जै स्वर्गा मझ आ; “हे विश्वासी मैहणुवो, खास चैलो, जां भविष्यवक्ताओ, ऐठणीरै बारै मझ खुशी मना केईनी कि परमेश्वरै बेबीलोन शहर, तैन्हांं गला मझ दोषी साबित केया, जै तेनी तुहां सिंउ क्यौरी थी।”
तेसनी सही मझ त्यौता दुख जां दर्द देया, ज्योतै तेनी मजै मरौरै अत्तै जां ज्योता तेनी घंमड क्यौरा। तेनी ऐपु सिंउ बौलु, कि “मूं एकि राणी सैयि मैहणुवां पन राज कांनु, आंउ अक विधवा ना, कि दुख मनांणा।”
फिरी दुईं बारी तैन्हैं अक होरू गीत लाउ, कि “हालेलूय्याह! बेबीलोन शहरा नाश कांने बाई आगी किना निकूंहणार धूँ कदि धधकणा बंद ना भूंणा।”
ऐठणीरै तेईनी मूं सै रोगी करि दींणी जां जै तैस सिंउ व्यभिचार कातै, ता मूं तेन्हांनि त्यो-तेईनी भयांकर कष्ट दींणै, ज्यो-तेईनी सैक्यै, जै तैस सिंउ बुरा कंम कातै, तेत किना मंन फैरी करि पश्चाताप कांनानि तियार ना भौ गांहथै।