9 ऐस समझणेरै तेईनी मंनैरा ज्ञान भूंणा जरूरी आ। पशुरै सत्ता मुन्डका केरा मतलब सत्त राजै अत्तै, जैन्हां केरू नगर सत्ता पहाड़ा पनि आ; जां सै जनानि तैन्हांं पन राज काति।
तेनी उत्तर दित्ता, “तुहांनि ता मीं परमेश्वरेरै राज्यरी गुप्त गलै समझांंणैरी अक्ल दितोरी आ पण तेन्हांनि ना।
जेख्णी तुवे तैस उजाड़नै बाई ऐयिड़ी चीजै, जेसैरी चर्चा दानिय्येल भविष्यवक्तै क्यौरी थी, पवित्र जगाय खड़ी भोरी तकालै, (जै पढ़िया सै समझिया)
तां मीं अक रागस समुन्द्रा किना निकूंथा लधा, जेसेरै दश शिंगै जां सत्त मुन्डकै थ्यै। तेसेरै शिंगा पन दश राजमुकुट थ्यै जां हर मुन्डका पन परमेश्वरेरी निंदायरै नाँ लिखोरै थ्यै।
ऐस समझणेरै तेईनी ज्ञान भूंणा जरूरी आ। जेनि ज्ञानै ला सै बुझि सकता कि ऐस रागसेरै नम्बरैरा मतलब कितु आ; केईनी कि ऐ एकि मैहणुरू नाँ आ। ऐ नम्बर छी शाउ छियाठ (666) आ।
आत्मायरी मजति ला, स्वर्गदूत मूं रेगिस्थाना मझ लै ग्या; मीं तैड़ि अक जनानि लधि, जै एकि रागसा पन सवार थी, जेसैरा रंग लाल थ्या। तेसेरै सत्त मुन्डक जां दश शिंगै थ्यै। तेसेरा शरीर तैन्हैं नाँईयें ला ढकौरा थ्या, जै परमेश्वरेरी निंदा कातै।
तेनी स्वर्गदूतै मूं सिंउ बौलु, “तु परेशानि मझ केईनी आ पूंता? मूं ऐस जनानिरै जां जै रागसा पन सवार आ, जेसेरै सत्त मुन्डक जां दश शिंगै अत्तै; ऐन्हां दोईयो केरा जै गुप्त मतलब आ, सै मूं ताउनि शुणांणा।”