जब उन्नें पिराथना पूरी करी तौ जा जगह पै बे सब इकठ्ठे हते, बू हिलबे लगी और उन सबन में पबित्र आतमा समा गयौ, और बे बिना डरके सामर्थ के संग परमेस्वर के वचन बोलबे लगे।
फिर बाई घड़ी एक बड़ौ भूकम्प भयौ, और नगर कौ दसमौ हिस्सा गिर परौ, और बा भूकम्प ते सात हजार आदमी मर गए और बचे भये सेस डर गए, और सुरग के परमेस्वर की महिमा करी।
और परमेस्वर कौ पिराथना घर सुरग में है, बू खोलौ गयौ, और वाके बड़े पिराथना घर में वाके बाचा कौ सन्दूक दिखाई दियौ, और बिजली चमकी और गर्जन की अबाज आई और भूकम्प भए, और बड़े-बड़े ओरे परे।
बा राजगद्दी में ते बिजली की चकाचौंध, घड़घड़ाहट, बादल की गर्जन निकल रयी हती। और राजगद्दी के सामनेई लपलपाती भई सात मसालें जल रयीं हतीं। जे मसालें परमेस्वर की सात आतमांऐ हैं।
फिर एक और सुरग दूत सौने के धूपदान लिये भये आयौ, बेदी के जौरें ठाड़ौ है गयौ और बाकूं भौत धूप दई कै सब लोग परमेस्वर के पबित्र लोगन की पिराथना के संग राजगद्दी के सामने बारी सौने की बेदी पै चढ़ामें।