प्रकासित बाक्य 7:1 - बृज भासा1 जाके बाद मैंनें धरती के चारौं कोनेन पै चार सुरग दूतन कूं खडे देखौ, बे धरती की सबरी हबाये पकरे भये हते। जाते धरती पै या समुन्दर पै या फिर काऊ पेड़ पै हबा न चलै। Faic an caibideil |
तब मैंनें चारौं जीबते पिरानीन के बीच में ते जि अबाज आते भये सुनी कै, “आयबे बारे अकाल के दिनांन में एक दिनां की मजदूरी के बदले केवल एक दिनां के खायबे के काजै गेंहू मिलैगौ या एक दिनां की मजदूरी के बदले केवल तीन दिनां के खायबे के काजै जौ मिलैगौ, पर जैतून के तेल और अंगूर कौ रस के भाव में कोई बदलाब नांय होगौ।”