जो कछू हम कैह रये हैं, वाकी मुख्य बात जि है कै, पक्कौई हमारे जौरें एक ऐसौ महान महा पुरोहित है जो सुरग में परम पिरधान परमेस्वर के सिंहासन के दाहिने हात जा बैठौ है।
तब बू आतमा मोय बेहड़ के माऊं लै गयौ, म्हांपै एक औरत लाल रंग के ऐसे पसु पै बैठी हती, बा पसु के सरीर पै परमेस्वर के नाम की निन्दा की बाते लिखी हतीं, वाके सात सिर और दस सींग हते।
बा राजगद्दी में ते बिजली की चकाचौंध, घड़घड़ाहट, बादल की गर्जन निकल रयी हती। और राजगद्दी के सामनेई लपलपाती भई सात मसालें जल रयीं हतीं। जे मसालें परमेस्वर की सात आतमांऐ हैं।
फिर मैंनें सुरग में और धरती में और वाके बीच में जो चीज बनी भईं हैं। बिन्नें जि कैहते भये सुनों कै, “मैमना बा राजगद्दी पै बैठबे बारे को धन्यबाद, और आदर, और महिमा और राज युगानुयुग रैहबै।”