प्रकासित बाक्य 4:1 - बृज भासा1 इन बातन के बाद मैनें अपनी आँखन ते देखौ, सुरग में एक द्वार खुलौ भयौए। तुरही के समान एक बड़ी अबाज जो मैंनें पैहले सुनी बानें मोते कही, “मेरे जौरें ऊपर आ। मैं बिन बातन नें तोय दिखाऊंगो जिनकौ हैबो पक्कौ है।” Faic an caibideil |