1 फिर मैं नें एक और बलबान सुरग दूत कूं बादल ओढ़े भए सुरग ते उतरते देखौ, वाके सिर पै सतरंगी धनुस हतो और वाकौ मौंह सूरज जैसौ और वाके पांम आग के खम्भा जैसे हते।
तब दोपहर कूं मैं रस्ता में हतो तब हे राजा, मैंनें एक रोसनी सुरग ते मेरे और संगीन पै उतरत भये देखी। बू सूरज तेऊ जादा चमक रयी हती। बू मेरे संग के लोगन के चारौ लग चमकी।
फिर एक ताकतबर सुरग दूत ने बड़ी चक्की जैसौ बड़ौ पत्थर उठायौ और जि कैहके समुन्दर में फैंकौ, “बड़ौ नगर बेबीलोन, जाई तरै ते गिराय दियौ जाबैगौ और वाकौ फिर कबऊ पतौ नाय परैगौ।
और मैंनें फिर देखौ, तौ आकास के बीच में एक उकाब कूं उड़ते और ऊंची अबाज ते जि कहते सुनौ, “बिन तीन सुरग दूतन की तुरही की अबाज के मारैं, जिनकौ बजाबौ अबई वाकी है, धरती के रहबे बारेन पै हाय! हाय! हाय!”