7 बे मानो सीखत तो हैं परन्त सांची बातन हां कऊं, नईं चीनत।
ऊने उन हां उत्तर दओ, तुम हां सरग के राज्य के भेदन की समझ दई गई आय, पर उन हां नईं।
तुम कैसे भरोसा कर सकत आव, जब कि तुम खुद एक दूसरे से मान चाहत आव, और जौन मान अद्वैत परमेसुर की कोद से आय, ऊहां पाबो नईं चाहत?
कि हम आगे बच्चन घांई नईं रैबें, जौन मान्सन की ठगाई और चालाकी से उनके फंसाबे की चाल, और उनके कैबे से, एक एक बयार से उछाले, और इते उते घुमाए जात आंय।
परमेसुर जे चाहत आंय, सबरे मान्सन को तरन तारन होबै; और बे सांची बात हां जानें।
जौन जनें बिरोध करें उन हां धीरज से समझा दो, का पता कि परमेसुर उनको मन बदल देबे, कि बे सोई इन सांची बातन हां मानें।
ईके लाने और बहुत कछु कहो जा सकत आय, जीहां हम अबै नईं समझ सकत; कायसे तुम अब तनक ऊं चो सुनन लगे आओ।