तुम एक दूजे से न्यारे होकें न रओ; परन्त कछु बेरा लौ आपस की राजी खुसी से कि बिन्तवाई के लाने कछु टैम मिले, और फिन एक संग्गै रओ, ऐसो न होबै, कि तुमाए न्यारे होकें रैबे से शैतान छलिया तुम हां परखे।
उन की आंखें व्यभिचार से भरी आंय, बे अधरम करे बिना रै नईं सकत, बे चंचल मन वारन हां फुसला लेत आंय; उनके हिये लालच करबे की लत में पड़े आंय, बे सन्ताप के लरका बच्चा आंय।
इनहां कोऊ बात में संतोस नईंयां, जे कुड़कुड़ात, और अपनी बुरई मन्सा से काम करत आंय; और बिलात बड़वाई की बातें करत आंय; और फायदे के लाने मों पै मान्सन की बड़वाई करत आंय।