मैं यहूदी आंव, जौन किलकिया के तरसुस में जन्मो; पर ई नगर में मोरो पलबो पुसबो भओ और गमलिएल के चरनन मैं बैठ के पुरखन की रीतियन के अनसार कड़ाई से सीखो, और परमेसुर के लाने उमंग से भरो भओ हतो, जैसे आज तुम सब आव।
पर मैं तोरे आंगू जौ मान लेत आंव, की जी चाल हां जे बुरई चाल कहत आंय, ओई के अनसार मैं अपने पुरखन के परमेसुर कौ काज करत आंव: और जौन बातें रीत के अनसार आंय मानत हों, और जौन कछु आगमवक्तन के शास्त्रन में लिखी आंय, उन सब हां मानत हों।
कायसे हम अपने हिये की जा बात मानत आंय, कि और ऊ पै बड़वाई करत आंय, कि संसार में और तुमाए बीच हमाई चाल परमेसुर को भाबेवारी पवित्तर और सांची हती, और ऐसो संसार के ज्ञान से नोंई, अकेले परमेसुर की दया से भई।