हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पे श्राप! कायसे तुम मान्सन के विरोध में सरग के राज्य कौ द्वार बन्द कर देत आव, तुम न तो खुद जात आव और न जाबे वारन हां भीतर जान देत आव।
जब बो नगर के दरवाजा लौ पोंचो, तो ऊ ने तको, कि मान्स एक मरे भए हां बायरें लए जा रए हते; बो अपनी मताई कौ एकलौतो पूत हतो, और बा बिधवा हती: और नगर के बिलात मान्स ऊके संग्गै हते।
उन दिना में जब चेलन की गिनती कुल्ल बढ़न लगी, तब यूनानी भाषा बोलबेवारे इब्रानी भाषा बोलबेवारन पे कुड़कुड़ऊन लगे, कि रोज रोज की सेवकाई में हमाई बिधवाओं की सुधि नईं लई जात।
तब पतरस उठके उन के संग्गै हो लओ, और जब ऊ पोंचो, तो बे ऊहां ऊ अटारी पे ले गए; सबरी बिधवाएं रोत भईं ऊके ऐंगर आ ठांड़ी भईं: और जौन कुरता और उन्ना दोरकास ने उन के संग्गै रैत भए बनाए हते, दिखान लगीं।
हमाए पिता परमेसुर के लेखे में सुद्ध और साफ भक्ति जा आय, कि हम अनाथों और बिधवाओं की दुख पीड़ा में उन की सुध लेबें, और अपने आप हां संसार की बातन से दूर राखें।
ऊंसई हे मन्सेलू हरौ, तुम सोई समजदारी से बईयरन के संग्गै जीवन बिताओ और बईयर हां अबला जान के ऊकौ मान करौ, और जौ समज के, कि तुम दोई जीवन के बरदान के हक्कदार आव, जीसे तुमाई बिन्तवाई रुक न जाबै।