पिरभु अपने कौल के विषय में अबेर नईं करत, जैसो कि कितेक जनें समजत आंय; बो नईं चाहत कि कौनऊं मान्स नास होबे; परन्त जौ कि सबई हां हिया बदलबे कौ मौका मिले।
मैं सियाने ने ऊ निबरी भई बईयरें और उनके लड़कावारन हां लिखो, जिन हां परमेसुर सांचो प्रेम धरत आय, ई लाने कि हम ने उनकी सांची बातन हां मानो आय, और उन हां पक्को पकड़ें आय, जौन बातें पक्की आंय।