मोरे लौ सब कछु आय, और बिलात सोई आय: जौन बस्तें तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथन पठैई हतीं बे मोहां बहुतई साजी लगीं, बे मानो ऊ बली जैसे आय, जी की गन्ध और बलदान से परमेसुर खुस होत आय।
सो भईया हरौ, हम तुम से कैत आंय, और पिरभू के नाओं से तुम हां समझात आंय, जैसो तुमने तको आय, कि हम जैसो बे चाहत आंय, और जीसे खुस होत आय, ऊंसई रैत आंय, तुम सोई ऊंसई चलत आव सो अच्छे से आगे चलत चलो।
कायसे जदि तुम ने अधरम करके घूंसे खाए और गम्म खाई, तो ईमें का बड़वाई की बात आय? परन्त जदि साजो काम कर के पीड़ा झेलत आव और धीरज धरत आव, तो जौ परमेसुर हां साजो लगत है।