6 इन बातन हां छोड़ के बिलात जनें फालतू बातन के पाछें चलकें भटक गए आंय।
तुम का समजत आव? जदि कोऊ मान्स की सौ गाड़रें होबें, और उन में से एक भटक जाए, तो का बो निन्नानबे हां छोड़के, और पहरवा पे जाके, ऊ भटकी भई गाड़र हां खोजबे न जै है?
कछु जनी तो भटक के शैतान छलिया के से काज करत आंय।
जौन जौ कैत आंय कि मरे भए जी उठे आंय बे सांची बातन हां नईं मानत, और कित्तई उन के बिसवास हां बिलोर देत आंय।
कायसे देमास ने ई संसार के मोह जाल में पड़ के मोहां छोड़ दओ आय, और थिस्सलुनीके हां चलो गओ आय, और क्रेसकेंस गलतिया हां और तीतुस दलमतिया हां चलो गओ आय।
कायसे बिलात जनें बिरोध करत आंय, लबरा और धोका देत आंय; जे बे आंय जिनको खतना हो गओ आय।
सो ओछे बतकाव से, और पुस्तन के किस्सा से, अदावट और उन झनझटन से न्यारे रओ; कायसे इन से कछु बनत नईंयां।