सूरज निकलतां ई बिंगो तावड़ो इतो तपै है कै बुंटो सूक जावै है, बिंगो फूल झड़ जावै है अर बिंगी सुंदरता खराब हो जावै है। इंयाई धनवान आदमी आपगै रा पर चालतो एक दिन माटी में मिल जावै है।
पवितर सासतर में इंया लिखेड़ो है कै, “हरेक प्राणी एक घास बरगो है, बे घास गै फूल गी तरियां सुणा तो है। क्यूंकै घास सूख जावै अर फूल झड़ जावै, पण परमेसर गो बचन कदी बी बदळै कोनी अर बो सदां एक जिस्यो ई रेवै।” बोई बचन थानै सुणायो है।
अर आनै आ आग्या बी देएड़ी कै बे धरती गी घास, दरखत या कोई हरी चीज नै नुकसान ना पोंचावै। पण बां मिनखा गो नुकसान करै झिकां गै माथा पर परमेसर गी मोहर कोनी है।