1 जद मेमणै सातवीं मोहर तोड़ी तो सुरग में आदै घंटै तांई सरणाटो हो'ग्यो।
अर बे रुखाळी करण आळा नै आपगै सागै लेग्या अर पथर पर निसानी लगागे कबर गी रुखाळी करी।
ओर मैं देख्यो कै झिको सिंघासन पर बेठयो है बिंगै दाहिणै हात में मैं एक किताब देखी। आ किताब मा बारूं दोना पासू लिखेड़ी ही अर इनै सात मोहर लगागे बंद कर राखी ही।
बे ओ नुओं गीत गाण लागग्या, कै “थे ई, ईं किताब नै लेण गै अर इंगी मोहरां खोलण गै लायक हो। क्यूंकै तूं मरगे अर आपगै खून ऊं हर एक कुल, भासा, लोग अर देस मू परमेसर खातर म्हानै खरीद लिया।
अर फेर मैं देख्यो कै जद बण मेमणै बां साता मोहरा मू एक नै खोली, जद बां च्यार प्राणिया मू एक जण बादळां गै गरजन गी तरियां ओ केवंता सुण्यो कै, “आज्यो।”
अर जद मैं मेमणै नै छटी मोहर तोड़ता देख्यो तो धरती हालगी अर ऊन ऊं बणेड़ै कामळ गी तरियां सूरज काळो, अर चांद खून गी तरियां दिखण लागग्यो।
जद बण दूसरी मोहर तोड़ी तो मैं दूसरै प्राणी नै ओ केवंता सुण्यो “आज्यो।”
जद बण तीसरी मोहर खोली तो मैं तीसरै प्राणी नै ओ केवंता सुण्यो, “आज्यो।” जद मैं देख्यो तो एक काळै घोड़ै पर सवार मिनख गै हात में ताकड़ी ही।
जद बण चोथी मोहर तोड़ी तो मैं चोथै प्राणी नै ओ केवंतो सुण्यो “आज्यो।”
जद मेमणै पांचवी मोहर तोड़ी तो मैं बेदी गै नीचै बां लोगां गै प्राणा नै देख्या झिका परमेसर गै बचन अर बिंगी गवाई बताण गी बजह ऊं मारेड़ा हा।