एसे हम तोंहसे इआ कहित हएन, कि ‘अपने प्रान के खातिर इआ चिन्ता न किहा, कि हम पंचे का खाब, अउर का पिअब? अउर न अपने देंहेन के खातिर चिन्ता किहा, कि हम का पहिरब? का प्रान खाना से, अउर देंह ओन्हा से बढ़िके नहिं आय?
पय वास्तव माहीं तोंहरे जीबन माहीं सबसे बड़ा दोस त इआ हय, कि तूँ पंचे आपस माहीं लड़ाई-झगड़ा कइके मुकदमा लड़ते हया। अन्याय काहे नहीं सहि लेते आह्या? अउर खुद के नुकसान काहे नहीं सहि लेते आह्या?
इआ कारन से अगर हमार खाना दुसरे बिसुआसी भाई-बहिनिन काहीं पाप माहीं गिरामँइ के कारन बनत हय, त हम कबहूँ माँस न खाब, कहँव अइसन न होय, कि हम उनहीं पाप माहीं गिरामँइ के कारन बन जई।
अउर कुस्ती लड़ँइबाले हरेक पहिलमान, अपने देंह काहीं तइआर करँइ के खातिर, हरेकमेर के कसरत करत हें; अउर ऊँ पंचे त नास होंइ बाले मुकुट काहीं पामँइ के खातिर इआ सगली मेहनत करत हें, पय हम पंचे त उआ मुकुट काहीं पामँइ के खातिर मेहनत करित हएन, जउन कबहूँ नहीं नास होय।
हम पवलुस यीसु मसीह कि नाईं नम्र अउर दीन होइके तोंहसे पंचन से बिनती करित हएन, जबकि हमरे पीठ पीछे कुछ मनई कहत हें, कि हम डरपोक हएन। पय हम इआ लिखी चिट्ठी माहीं खुब निडर देखइत हएन।
कि तूँ पंचे कउनव मेर के भबिस्यबानी, उपदेस इआ कि चिट्ठी के द्वारा मिली बात काहीं, इआ समझिके, कि हमरे पंचन के तरफ से भेजी आय, प्रभू के आमँय के दिन आय पहुँचा हय, तोंहार मन ब्याकुल न होय, अउर न तूँ पंचे घबरया,
अउर हम पंचे अराधना माहीं जाब न छोंड़ी, अउर उनखे कि नाईं न बनी, जउन ईं बातन काहीं छोंड़ि दिहिन हीं; बलकिन एक दुसरे काहीं समझाबत रही, अउर जइसय- जइसय प्रभू के दुसराय आमँइ के दिन लघे आय रहा हय, त हम पंचे ईं कामन काहीं अउर जादा करी।
अउर उनखे भीतर जउन मसीह के आत्मा रहा हय, उआ पहिलेन से इआ बताबत रहा हय, कि मसीह के ऊपर कइसन दुख अइहँय, अउर ओखे बाद कइसन उनखर महिमा होई। अउर मसीह के आत्मा उनहीं पंचन काहीं इहव बताबत रहा हय, कि ईं बातँय कउने समय, अउर कउने दसा माहीं होइहँय, अउर ओखे बाद इआ संसार के का होई।