4 पय हम त अपने देंह के ऊपर घलाय भरोसा रख सकित हएन, अउर अगर कउनव मनई काहीं अपने देंह के ऊपर भरोसा रक्खँइ के बिचार होय, त हम ओहू से घलाय बढ़िके भरोसा रख सकित हएन।
एखे बारे माहीं तूँ पंचे सतरक रहा, कि तूँ पंचे कउनमेर सुनते हया? काहेकि जे कोऊ परमातिमा के बचन काहीं अउर निकहा से जानँइ के कोसिस करत हय, परमातिमा ओही अउर आत्मिक ग्यान देत हें, पय जे कोऊ परमातिमा के बचन काहीं जानँइ के कोसिस नहीं करय, त ओखे लघे जउन ग्यान रहत हय, उहव बिसरि जात हय, जेही उआ आपन समझत हय।”
एसे अब से हम पंचे कउनव मनई काहीं संसारिक नजर से न देखब, काहेकि एक समय हमहूँ पंचे मसीह काहीं संसारिक नजर से देखत रहे हएन। तऊ अब से हम पंचे मसीह काहीं संसारिक नजर से न देखब।