जे कोऊ हमरे ऊपर बिसुआस करँइ बालेन काहीं, चाह उआ छोट क लड़िकय होय, उनसे पाप कराबत हय, त उआ मनई के खातिर इआ ठीक कहाई, कि एकठे बड़ी काहीं चक्की के जेतबा ओखे गरे माहीं बाँधिके गहिल समुद्र माहीं बुड़ाय दीन जाय। काहेकि परमातिमा के सजा एहू से जादा मिली।
काहेकि हम पंचे हरेक बातन माही, इआ ध्यान रक्खित हएन, कि कोहू काहीं हमरे पंचन के ऊपर दोस लगामँइ के मोका न मिलय। जउने हमरे पंचन के सेबा माहीं कउनव कलंक न लागय।
तऊ अगर तूँ पंचे पबित्र सास्त्र के इआ बचन के मुताबिक, कि “तूँ अपने परोसी से उहयमेर प्रेम करा, जउनमेर तूँ अपने-आप से करते हया” त सही-सही उआ राज के बिधान काहीं पूर करते हया, त निकहय करते हया।