अउर हे भाई-बहिनिव, जइसन छोट बुदे लड़िकन के सोच-बिचार रहत हय, उआमेर तोंहार पंचन के सोच-बिचार न होंइ चाही; बुराई के खातिर छोट लड़िकन कि नाईं अनजान बना, पय तोंहार सोच-बिचार सयानन कि नाईं होय।
एसे जइसन तूँ पंचे हरेक बातन माहीं, अरथात बिसुआस माहीं, बात करँइ माहीं, ग्यान माहीं, अउर हरेकमेर के उपकार करँइ माहीं, अउर हमसे पंचन से प्रेम करँइ माहीं, बढ़त जाते हया। उहयमेर दान करँइ के काम माहीं घलाय बढ़त जा।
एसे जउने दिना से हम तोंहरे बारे माहीं इआ सुने हएन, त हमहूँ घलाय रोज तोंहरे खातिर इआ प्राथना करित हएन, कि तूँ पंचे आत्मिक ग्यान अउर समझ पायजा, अउर परमातिमा के इच्छा तोंहरे बारे माहीं का ही, इआ निकहा से जान जा।
अउर प्रभू अइसन करँय, कि जइसन प्रेम हम पंचे तोंहसे रक्खित हएन; उहयमेर तोंहरव प्रेम आपस माहीं एक दुसरे के साथ, अउर सगले मनइन के साथ बढ़य, अउर मजबूत होत जाय।
हे भाई-बहिनिव, तोंहरे बारे माहीं हमहीं पंचन काहीं, हर समय परमातिमा काहीं धन्यबाद देत रहँइ चाही, अउर इआ उचितव हय, एसे कि तोंहार बिसुआस खुब बाढ़त जात हय, अउर तोंहार सगलेन के प्रेम घलाय आपस माहीं खुब बाढ़त जात हय।