तब लुदिया नाम के थुआतीरा सहर के बैगनी ओन्हा बेचँय बाली एकठे भक्त मेहेरिआ, सुनत रही हय, तब प्रभू ओखे मन काहीं खोलिन, जउने उआ पवलुस के बातन काहीं बड़े ध्यान से सुनय।
अउर हम इहय बात तोंहईं एसे लिखेन हय, कि कहँव अइसा न होय, कि जब हम तोंहरे पंचन के लघे अई, त जिनसे हमहीं आनन्द मिलँइ चाही, त हम उनहिन के कारन दुखी होई; काहेकि हमहीं तोंहरे सगले जनेन के ऊपर इआ बात के भरोसा हय, कि जउन आनन्द हमार हय, उआ तोंहरव पंचन के घलाय आनन्द हय।
कहँव अइसा न होय, कि मकिदुनिया प्रदेस के कुछ मनई हमरे साथ आइके इआ देखँय, कि तूँ पंचे दान देंइ के खातिर तइआर नहिं आह्या, त हमहूँ काहीं अउर तोंहऊँ पंचन काहीं घलाय लज्जित होंइ परी, जबकि एखे बारे माहीं हम पंचे तोंहरे ऊपर बड़ा भरोसा रक्खित हएन।
अउर हम प्रभू के ऊपर तोंहरे पंचन के बारे माहीं भरोसा रक्खित हएन, कि तोंहार पंचन के उआ गलत सिच्छा काहीं मानँइ के बिचार न होई; पय जे कोऊ तोंहईं बहकामँइ के कोसिस करत हय, चाह उआ कोहू होई, परमातिमा से सजा पाई।
एसे हे हमार पियार साथिव, जब हम तोंहरे साथ माहीं रहेन हय, त तूँ पंचे हमेसा हमरे हुकुमन काहीं मानत रहे हया, उहयमेर अबहिनव निकहा से माना, भले हम तोंहरे लघे नहिं आहेन, तऊ परमातिमा के भय मानत, अउर उनखर सम्मान करत, जउन मुक्ती तोंहईं पंचन काहीं मिली हय, ओहिन के मुताबिक काम करा।
अउर तूँ पंचे बपतिस्मा लेत माहीं उनहिन के साथ गाड़े गया, अउर परमातिमा के सक्ती के ऊपर बिसुआस किहा, कि ऊँ मसीह काहीं मरेन म से जिआइन हीं, त उनखे साथय तुहूँ पंचे घलाय आत्मिक रूप से जिन्दा होइ गया हय।
एसे हम पंचे, हमेसा तोंहरे खातिर प्राथना घलाय करित हएन, कि हमार पंचन के परमातिमा, तोंहईं उआ जीबन के काबिल समझँय, जउने काहीं जिअँइ के खातिर बोलाइन रहा हय, अउर तोंहरे भलाई के हरेक इच्छा, अउर बिसुआस के हरेक कामन काहीं सामर्थ सहित पूर करँय।
अउर तूँ पंचे प्रभू के ऊपर बिसुआस करते हया, एसे हमहीं पंचन काहीं तोंहरे ऊपर पूर भरोसा हय, कि जउन-जउन हुकुम हम पंचे तोंहईं दिहेन रहा हय, उनहीं तूँ पंचे मनते हया, अउर मनतव रइहा।
हम तोंहरे ऊपर बिसुआस करित हएन, कि तूँ हमरे हुकुम काहीं जरूर मनिहा, एसे हम तोंहईं इआ चिट्ठी लिख रहेन हय, अउर हम इहव जानित हएन, कि जउन हम तोंहईं कहित हएन, ओही तूँ ओहू से बढ़िके करिहा।
अउर बिसुआस के सुरुआत करँइ बाले, अउर ओही परिपूर्न करँइ बाले, यीसु के ऊपर हम पंचे ध्यान लगाए रही; जे उआ खुसी के खातिर जउन उनखे आँगे धरी रही हय, सरम के कउनव परबाह नहीं किहिन, अउर क्रूस के सजा काहीं सहि लिहिन, अउर जाइके परमातिमा के दहिने कइती सिंहासन माहीं बइठिगें हँय।
पय प्रभू के दुसराय आमँइ के दिन, चोर कि नाईं अचानक आय जई, अउर उआ दिन भयंकर गरजन के साथ अकास हेराय जई, अउर अकास के सगली चीजँय, आगी माहीं जरिके नास होइ जइहँय। अउर इआ धरती, अउर एखे ऊपर के सगले काम जरि जइहँय।