इबरानियों 6 - उर्दू हमअस्र तरजुमा1 चुनांचे आओ! अलमसीह की तालीम की इब्तिदाई बुनियादी बातें छोड़कर कामलियत की तरफ़ क़दम बढ़ायें और ऐसी बातें दुहराने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिये जिन से ईमान की बुनियाद रखी जाती है मसलन बेकार रसूमात से तौबा करना, ख़ुदा पर ईमान रखना, 2 मुख़्तलिफ़ पाक-ग़ुस्ल की हिदायात, किसी के सर पर हाथ रखना, मुर्दों की क़ियामत और अब्दी अदालत। 3 चुनांचे अगर ख़ुदा ने चाहा, तो इन बातों को छोड़कर, हम आगे बढ़ेंगे। 4 क्यूंके जिन लोगों के दिल एक बार नूरे इलाही से रोशन हो चुके हैं और जो आसमानी बख़्शिश का मज़ा चख चुके हैं, जो पाक रूह में शरीक हो चुके हैं, 5 और ख़ुदा के उम्दा कलाम और आने वाली दुनिया की क़ुव्वतों का ज़ायक़ा ले चुके हैं, 6 अगर वह अपने ईमान से बर्गश्तः हो जायें तो उन्हें फिर से तौबा की तरफ़ माइल करना मुम्किन नहीं। क्यूंके वह ख़ुदा के बेटे को अपनी इस हरकत से दुबारा सलीब पर मस्लूब कर उस की एलानिया बेइज़्ज़ती करते हैं। 7 क्यूंके ख़ुदा उस ज़मीन को बरकत देता है जो अपने पर बार-बार पड़ने वाली बारिश को जज़बा कर के ऐसी फ़सल पैदा करती है जो काश्तकारों के लिये मुफ़ीद हो। 8 लेकिन अगर वो ज़मीन सिर्फ़ कांटे और झाड़ झनकार उगाती रहे तो किसी काम की नहीं। और इस ख़तरे में है के उस पर जल्द ही लानत भेजी जाये और उस का आख़री अन्जाम आग में जलाया जाना है। 9 ऐ अज़ीज़ों! अगरचे हम इस तरह की बातें कर रहे हैं, तो भी हम तुम्हारी निस्बत इन से बेहतर नजात वाली बातों का यक़ीन रखते हैं। 10 इसलिये के ख़ुदा बेइन्साफ़ नहीं जो तुम्हारे काम और उस महब्बत को भूल जाये जो तुम ने उस की ख़ातिर उस के मुक़द्दसीन लोगों की ख़िदमत करने से ज़ाहिर की और अब भी कर रहे हो। 11 लेकिन हम इस बात के बड़े आरज़ूमन्द हैं के तुम में से हर शख़्स इसी तरह आख़िर तक कोशिश करता रहे ताके जिन बातों की तुम उम्मीद रखते हो वो हक़ीक़त में पूरी हो जायें। 12 हम नहीं चाहते के तुम सुस्त हो जाओ, बल्के तुम उन लोगों की मानिन्द बनो जो अपने ईमान और सब्र के बाइस ख़ुदा के वादों के वारिस हैं। ख़ुदा का पक्का वादा 13 चुनांचे जब ख़ुदा ने हज़रत इब्राहीम से वादा करते वक़्त क़सम खाने के वास्ते किसी को अपने से बड़ा न पाया तो उस ने अपनी ही क़सम खाकर 14 ये फ़रमाया, “मैं यक़ीनन तुम्हें बरकत दूंगा और तुम्हारी औलाद को बेशुमार बढ़ाऊंगा।” 15 इसलिये हज़रत इब्राहीम सब्र के साथ इन्तिज़ार करते रहे और वादा की हुई बरकत को हासिल किया। 16 आदमी तो अपने से बड़े की क़सम खाया करते हैं और इस तरह क़सम खाने से हर बात पक्की हो जाती है और हर झगड़े व हुज्जत की गुन्जाइश को ख़त्म कर देती है। 17 लिहाज़ा ख़ुदा ने भी क़सम खाकर अपने वादे की तस्दीक़ की क्यूंके वो अपने वादे के वारिसैन पर साफ़ ज़ाहिर करना चाहता था के उस का इरादा कभी नहीं बदलेगा। 18 चुनांचे ख़ुदा का वादा और ख़ुदा की क़सम यह दो ऐसी चीज़ें हैं जो लातब्दील हैं और इन के बारे में ख़ुदा कभी झूट नहीं बोलेगा, इसलिये हम जो दौड़ कर उस की पनाह में आये हैं, बड़े हौसला से इस उम्मीद को मज़बूती से थामे रख सकते हैं जो हमारे सामने पेश की है। 19 क्यूंके यह उम्मीद हमारी जान के लिये ऐसा लंगर है ऐसा मज़बूत लंगर है जो साबित और क़ाइम है और आसमानी बैतुलमुक़द्दस के पाक-तरीन कमरे के पर्दे के अन्दर तक दाख़िल होती है। 20 जहां हुज़ूर ईसा पहले से ही हमारे रहनुमा के तौर पर दाख़िल हो चुके हैं। और तू मलिक-ए-सिदक़ के तौर पर अबद तक आला काहिन मुक़र्रर हुए हैं। |
उर्दू हमअस्र तरजुमा™ नया अह्दनामा
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की इजाज़त से इस्तिमाल किया जाता है। दुनिया भर में तमाम हक़ महफ़ूज़।
Urdu Contemporary Version™ New Testament (Devanagari Edition)
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