1 यूहन्ना 4 - उर्दू हमअस्र तरजुमाहुज़ूर ईसा के मुजस्सम होने का इन्कार करने पर इन्तिबाह करना 1 ऐ अज़ीज़ दोस्तों! तुम हर एक रूह का यक़ीन मत करो बल्के रूहों को आज़माओ के वो ख़ुदा की तरफ़ से हैं या नहीं। क्यूंके बहुत से झूटे नबी दुनिया में निकल चुके हैं। 2 तुम ख़ुदा के पाक रूह को इस तरह पहचान सकते हो के जो रूह ये इक़रार करे के हुज़ूर ईसा अलमसीह मुजस्सम होकर दुनिया में तशरीफ़ लाये तो वो ख़ुदा की तरफ़ से है। 3 लेकिन जो रूह हुज़ूर ईसा के मुजस्सम होने की बात का इक़रार न करे तो वो ख़ुदा की तरफ़ से नहीं है। यही मुख़ालिफ़ अलमसीह की रूह है जिस की ख़बर तुम सुन चुके हो के वो आने वाला है बल्के इस वक़्त भी दुनिया में मौजूद है। 4 ऐ प्यारे छोटे बच्चों! तुम ख़ुदा से हो और उन पर ग़ालिब आ गये हो क्यूंके जो तुम में है वो उस से कहीं ज़्यादा बड़ा है जो दुनिया में है। 5 वो दुनिया के हैं इसलिये दुनियवी नज़रिया से बातें करते हैं और दुनिया वाले उन की सुनते हैं। 6 मगर हम ख़ुदा के लोग हैं और जो कोई ख़ुदा को जानता है वो हमारी सुनता है, लेकिन जो ख़ुदा से नहीं वो हमारी नहीं सुनता। इस तरह हम सच्चाई की रूह और फ़रेब देने वाली रूह में इम्तियाज़ करते हैं। हमारी महब्बत और ख़ुदा की महब्बत 7 ऐ अज़ीज़ दोस्तों! आओ हम एक दूसरे से महब्बत रखें क्यूंके महब्बत की इब्तिदा ख़ुदा से है और जो कोई महब्बत रखता है वो ख़ुदा से पैदा हुआ है और ख़ुदा को जानता है। 8 लेकिन जो शख़्स महब्बत नहीं रखता इस ने ख़ुदा को कभी नहीं जाना क्यूंके ख़ुदा महब्बत है। 9 जो महब्बत ख़ुदा हम से रखता है उसे ख़ुदा ने इस तरह ज़ाहिर किया के उस ने अपने अनोखे बेटे को दुनिया में भेजा ताके हम उस के सबब से ज़िन्दगी पायें। 10 महब्बत ये नहीं के हम ने ख़ुदा से महब्बत की बल्के ये है के ख़ुदा ने हम से महब्बत की और हमारे गुनाहों के कफ़्फ़ारा के लिये अपने बेटे को भेजा। 11 ऐ अज़ीज़ दोस्तों! जब ख़ुदा ने हम से ऐसी महब्बत रखें तो लाज़िम है के हम भी एक दूसरे से महब्बत रखें। 12 ख़ुदा को किसी ने कभी नहीं देखा लेकिन अगर हम एक दूसरे से महब्बत रखते हैं तो ख़ुदा हमारे अन्दर रहता है और उस की महब्बत हमारे दिलों में कामिल हो जाती है। 13 चूंके ख़ुदा ने अपना पाक रूह हमें अता फ़रमाया है इसलिये हम जानते हैं के वो हम में और हम उस में क़ाइम रहते हैं। 14 और हम ने देख लिया है और अब गवाही देते हैं के आसमानी बाप ने अपने बेटे को दुनिया का मुनज्जी बना कर भेजा है। 15 जो कोई इक़रार करता है के हुज़ूर ईसा ख़ुदा के बेटे हैं, तो ख़ुदा उन के अन्दर और वो ख़ुदा में पाए जाते हैं। 16 और इसलिये जो महब्बत ख़ुदा को हम से है, उस महब्बत को हम जान गये हैं और हमें उस के महब्बत का यक़ीन है। ख़ुदा महब्बत है और जो महब्बत में क़ाइम रहता है वो ख़ुदा में और ख़ुदा इस में क़ाइम रहता है। 17 पस इसी सबब से महब्बत हमारे दरमियान कामिल हो चुकी है, इसलिये हम इन्साफ़ के दिन पूरी दिलेरी के साथ खड़े हो सकेंगे क्यूंके हम इस दुनिया में हुज़ूर ईसा की मानिन्द ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। 18 महब्बत में ज़रा सा भी ख़ौफ़ नहीं होता। लेकिन कामिल महब्बत ख़ौफ़ को दूर कर देती है क्यूंके ख़ौफ़ का तअल्लुक़ सज़ा से होता है। और जो कोई ख़ौफ़ रखता है वो महब्बत में कामिल नहीं होता। 19 हम इसलिये महब्बत रखते हैं क्यूंके पहले ख़ुदा ने हम से महब्बत रक्खी। 20 अगर कोई कहे के वो ख़ुदा से महब्बत रखता है मगर अपने भाई या बहन से अदावत रखता है तो वो झूटा है। क्यूंके जो अपने भाई या बहन से जिसे उस ने देखा है, महब्बत नहीं करता तो वो ख़ुदा से कैसे महब्बत कर सकता है जिसे उस ने देखा तक नहीं? 21 हमें तो ख़ुदा की तरफ़ से ये हुक्म मिला है: जो कोई ख़ुदा से महब्बत रखता है उसे लाज़िम है के अपने भाई और बहन से भी महब्बत रखे। |
उर्दू हमअस्र तरजुमा™ नया अह्दनामा
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की इजाज़त से इस्तिमाल किया जाता है। दुनिया भर में तमाम हक़ महफ़ूज़।
Urdu Contemporary Version™ New Testament (Devanagari Edition)
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