रोमियों 7 - Sirmouriशादी-शुदा जीवन को अनाँणों 1 हे भाऐ बंईणों, कियों तुँऐं जाँण्दे ने (हाँव ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म जाँण्णों वाल़ें खे बुलू) के जाँव तोड़ी आदमी जीऊँदा रंह्, ताँव-तोड़ी से निय्म दा बंधण रंह्? 2 किन्देंखे के शादी-शुदा तिरंई ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म के मुँताबिक शी आप्णे घरवाल़े के जीऊँदे रंहणों तोड़ी शादी के बंन्धण दी बंदी रंह्, परह् जे तियारा घरवाल़ा मरी ज़ाँव तअ से घरवाल़े के निय्म शी छुटी ज़ाँव। 3 ईन्देंखे के जे से घरवाल़े के जीऊँदे रंहणों तोड़ी कोसी ओकी मंर्दों की बंणी ज़ाव, तअ तियों खे चोरी-जारी कर्णो वाल़ी तिरोंऐ बुली, परह् जे तियाँरा घरवाल़ा मरी जाँव, तअ से तेसी ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्मो शी छुटी गऐ, ऐथै तोड़ी के जे से कोसी पाराऐ मंर्दों के हऐ ज़ाँव, तबे भे से चोरी-जारी कर्णो वाल़ी तिरोऐ ने माँनी ज़ाँदी। 4 तेष्णें ही हे मेरे भाऐ-बंईंणों, तुँऐं भे मसीया की देह्-शरीर के जाँणें ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म शे छुटी गुऐ, के तेसी अंण-जाँण के बंणी ज़ाव, जुण्जा के मरे अंदे मुँझ्शा ऊँबा जीयूँदा हुआ: जू तुँऐं आँमें पंणमिश्वर खे फल़ लियाँव। 5 किन्देंखे के जबे आँमें आप्णें मंन की बुरी हिछ़ा के मुताबिक जीऊँदें लागे थिऐ, तअ पाप की हिछ़या जू ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म के जाँणें आऐ रंऐ थी, मऊँती का फल़ पय्दा कर्णो खे अमाँरे देह्-शरीर के अंगों दी काँम-काज़ करह् थी। 6 परह् ऐबे आँमें जू ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म दे जक्ड़े आँदें थिऐ, तेसी बंधण शे आछ़ै करियों मुँक्त्ति पाऐयों मुँक्त्त हऐ गुऐ। ऐशे दाँई ऐबे आँमें पुराँणें लिखे आँदें निय्म के मुताबिक ने; परह् पबित्र-आत्त्मा के नुऐं निय्म के मुताबिक परमिश्वर की सेवा करी सको। ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म अरह् पाप 7 तअ कियों ईन्दें का मतल्व ऐजा असो के कियों ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्म पाप असो? बिल्कूल् ने! निय्म के बिना हाँव पाप पछ़याँण्दा ने: जे निय्म ने बुल्दा, के लाल़्च ने कंरे, तअ हाँव का जाँण्दा थिया के लाल़्च का असो। 8 परह् पाप दा मोंक्का दे:खियों अज्ञाँ के जाँणें मुँदा साँत-भाँता लाल़्च पय्दा करा, किन्देंखे के ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्मो के बिना पाप मंरा अंदा असो। 9 हाँव तअ ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म के बिना आगे जीऊँदा थिया, परह् जबे मुँऐं ऋषी-मूसा के निय्म के बारे दो जाँणी पाव, तअ के हाँव पापी असो, ऐजो मुँऐं जाँणीं पाव, अरह् हाँव पंणमिश्वर आरी के नाँत्ते शा दुरका हुवा। 10 अरह् सेजी ही अज्ञाँ जू जीवन जींऊँणों खे थी, तिन्दें ही के जाँणें हाँव पंणमिश्वर की नाँत्ते शा दुर्के हुवा। 11 किन्देंखे के पाप ऐ मोंक्का दे:खियों अज्ञाँ के जाँणें मुँह बह्काया, अरह् तियों ही अज्ञाँ के जाँणें मुँह पंणमिश्वर की नंजरी शा दुरका भे करी दिता। 12 ईन्देंखे ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्म पबित्र असो, अरह् अज्ञाँ भे पबित्र, धर्मी, अरह् बेगे-आच्छ़ी असो। 13 तअ कियो सेजी जू बेगे-आच्छ़ी अज्ञाँ असो, कियों सेजी अज्ञाँ मुँह पंणमिश्वर शा दुरका करह्? बिल्कुल् ने! परह् पापे तियों आच्छ़ी चिजो के जाँणें मुँह पंणमिश्वर की अज्ञाँ शा दुरका कर्णो का जाँणें बंणा। ऐशो दाँई पाप का असली रूप पर्गट हुवा, अरह् से अज्ञाँ के जाँणें बेजाऐ भहिती पापी बणीं। आदमी की अंन्दरूनी लड़ाऐ 14 आँमें जाँणोंऐं, के ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्म तअ आत्त्मिक असो, परह् मुँह देह्-शरीर शा पापो का दास-बैठू बंणाँऐयों बिकी दिया। 15 हाँव जू किऐ करू ऐ, तेथू जाँण्दा ने; किन्देंखे के जुण्जो हाँव कर्णो चहाँऊ, सेजो ने, परह् सेजो ही करू, जिन्दा हाँव शंगाँऊ ऐ। 16 परह् जे हाँव कर्णो ने चहाँदा, सेजो ही करू; तअ हाँव ऐजो माँनी पाऊँ, के ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्म बेगे-आछ़ै असो। 17 तअ ऐष्णे हाल दा कर्णो वाल़ा हाँव ने आथी, परह् पाप असो, जू मुँदा बसा अंदा असो। 18 किन्देंखे के हाँव जाँणु ऐ, के मुँदी मतल्व मेरी देह्-शरीर दी किऐ आच्छ़ी चीज बास ने कर्दी। आछे काँम-काज़ कर्णो की हिछ़या तअ मुँदी असो ऐ, परह् आच्छ़ी-भली काँम-काज़ मुँह शी हन्दीं ने। 19 किन्देंखे के जिनू आच्छ़ी-भली काँम-काज़ के हाँव हिछ़या करू, सेजो तअ करदा ने; परह् जिनू बुरे काँम-काज़ की हाँव हिछ़या ने करदा, सेजो ही करिया करू। 20 तअ: जे हाँव सेजो ही करू जिन्देके हिछ़या ने करदा, तअ कर्णो वाल़ा हाँव ने आथी, परह् पाप असो, जुण्जा मुँदा बसा अंदा असो। 21 ईन्देंखे हाँव आपु दा ऐजा निय्म पाऊँ, के जबे हाँव भलाऐं कर्णी चहाऊ, तबे बुराऐ ही करी पाऊ। 22 किन्देंखे के हाँव अंदरूनीं मंन शा तअ पंणमिश्वर के निय्म शा बेजाऐ खुशी रंहू। 23 परह् मेरे आप्णी देह्-शरीर की अंग दी ऊक भाँत्ता ही निय्म दे:खाई पड़ो, जू मेरे अंध्यात्त्मिक सभाव शा लड़ो, अरह् मुँह पाप के तेसी निय्म के बंण्धंण दा पाँव, जुण्जा मेरे देह्-शरीर के अंग दा बास करह्। 24 हाँव केष्णा निरभाग आदमी असो! मुँह ईयों मंऊती की बंन्धण दी रंहणों वाल़ी देह्-शरीर शा कुँण छुड़ोंदा? 25 पंणमिश्वर ही छुड़ों दें, अमाँरे प्रभू यीशू मसीया के जाँणें; ईन्देंखे तिनका धन्यबाद हों। ईन्देंखे के हाँव आप्णी अंध्यात्त्मिक सोंच शा तअ पंणमिश्वर के निय्म का पाल़्ण करू, परह् मंन की हिछ़ा शी पाप के निय्म के सेवा करू। |
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