प्रकाशितवाक्य 22 - Sirmouri1 तबे ईन्दें पाछ़ी तेने स्वर्गदूत्तें मुँह कैई शी जीवन के जल की नंदी देखाऐ, जुण्जी बिल्लौर के जेष्णी छ़लक्दी, साफ सीसै हार्षी की जेऐ थी, जुण्जी पंण्मिश्वर अरह् छ़ैल़्टे के सिगाँस्ण शी बंह्दें नींक्ल़ों थी। 2 सेजी नंदी नंगर के च़ौराई खास बाटो बाटी ज़ाँव थी, अरह् तियों नंदी की टीराँव्टी गाशी दु:ई ढबे जीवन के डाल़ हों थिऐ, जिन्दें बारहीं किस्समं के फ़ल़ हर भीने लागो थिऐ; अरह् तिनू डाल़ो की पाच़ियों लंई हर जात्ती के लोग दुवाई के जागे दे थंऐयों तिन्दें लंई भले-चाँगे हंऐ ज़ाँव थिऐ। 3 ऐबे शुभा तेथै कुछ भे श्राप-फिटकारा ने हंदी, किन्देंखे के पंण्मिश्वर अरह् छ़ैल़्टे को सिंगाँस्ण तेसी नंगर दो ही हंदो, अरह् तिनके दास-दासी तिनकी आरार्धना कर्दे। 4 से तिनू आप्णीं आखिऐ देख्ले, अरह् तिनको नाँव तिनू लोगों के माँथे गाशी लिखो अंदो हलो। 5 तेथै हजो कोद्दी भे रात्त ने पड़्दी; अरह् तिनके दीवे अरह् सुर्जो के भे कोद्दी जरूरत्त ने पड़्दी, किन्देंखे के प्रभू पंण्मिश्वर आपु तिनखे आप्णाँ त्तेज-प्रकाष देंदे, अरह् से तेथै ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी राज कर्दे। प्रभू यीशू की हजो आँवणीं 6 तेने स्वर्गदूत्ते हजो मुँखे बुलो, “जुण्जो किऐ हेभी तोड़ी बुलो गुवो; सेजो साच्चो अरह् बिश्वाष ज़ुगौ असो, प्रभू ऐ, जुण्जे ऋषियों की आत्त्माओं के पंण्मिश्वर असो, तिन्ऐं आप्णें स्वर्गदूत्त आप्णें दासो कैई सेजो सब-कुछ पर्गट कर्दे डेयाल़े, जुण्जो शीघों हंणों वाल़ो असो।” 7 “देख, हाँव शीघा आँणों वाल़ा असो! भागोईंत्त असो! सेजे जुण्जे ईयों कताबे की बरंम्बाँणीं की बातो दे चालो।” 8 हाँव सेजा ही यूहन्ना असो, जेने आपु ऐजो सब-कुछ शुँणों, अरह् देखो; ऐजो सब-कुछ शुँण्णों अरह् देख्णों गाशी; हाँव तेसी स्वर्गदूत्त के जेने ऐजो सब-कुछ मुँह कैई शो देखाव तेस्खे लाँम्बें पसरियो तेस्के लातो गाशी आगमुँईऐ पड़ा। 9 परह् तेने स्वर्गदूत्तें मुँखे बुलो, “देख, ऐष्णों ने करे! किन्देंखे के हाँव तेरा अरह् तेरे भाऐ ऋषियों, अरह् ईयों कताबी की बातो माँनणों वाल़े का संगी-साथी दास असो, तुँऐं सिर्फ पंण्मिश्वर के सहाँम्णें आगुमुँईऐ लाँम्बे पसरियों तिनकी ही आरार्धना करे।” 10 तबे तेने मुँखे बुलो, “ईयों कताबे के बरंम्बाँणीं की बातो बंद ने करे; किन्देंखे के बख्त नंजीक असो। 11 जुण्जा अ-नीयाँई कर्णो वाल़ा असो, से अ-नीयाँई करदा ही मंगन रंह्; अरह्, जुण्जा पापी असो, से पाप ही करदा रंह्, परह् जुण्जा धर्मी असो, से धार्मिक्त्ता का ही सभाव बंणाँव, अरह् जुण्जा पबित्र असो, से पबित्र ही बंणाँ रंह्।” 12 “देख, हाँव शीघा आँणों वाल़ा असो; अरह् ऐकी नाँमों के काँम-काज़ के मुँताबिक तिनखे तिन्देंका प्रत्ति फ़ल़ देऊँबा। 13 हाँव अल्फ़ा अरह् ओमेगा, आगला अरह् आखरी अंन्त्त, असो।” 14 “भागोईंत्त असो! सेजे जिन्ऐं आप्णें चाल-चल्ण के खोट्णों जिऐ धूई पाँऐ; किन्देंखे के से जीवन के डाल़ो के हंकदार, अरह् से कुवाड़ो बाटी सुऐं करियों तेसी नंगर दे हाजीर हंदें। 15 परह् कुत्ते, जादू-टूँणें, अरह् चुरी-जारी कर्णों वाल़े, अरह् हत्त्यारे, अरह् मुँर्त्ती पुज्णों वाल़े, अरह् ऐक नाँम झ़ूट्ठै शे प्यार कर्णों वाल़े बाऐर ही रंह्दें। 16 “हाँव, यीशू, मुँऐ कलीसियाओं के बारे दी ऐजी बातो पर्गट कर्णो खे आप्णाँ दूत्त तुओं कैई डेयाल़ी थुवा; हाँव राजा दाऊद के बंष-गंड़ी का सोभी शी खास अलाद असो, अरह् झ़ीषौ बियाँणीं दा चंमम्कणों वाल़ा तारा असो।” 17 पबित्र-आत्त्मा अरह् दुल्ह्नं ईनू दुई की ऐजी ही बिनन्त्ति असो; “आओ!” जेने शुँणीं लुओं, से भे बुलो; “आओ!” सेजा जुण्जा च़ींषा असो से भे पीयों, अरह् जुन्जा कुँऐ हिछ़ुक असो, से भे ऐई मु़ँझ़ी दाँण भेट्णों के रूप दो जीवन को जल मुँझ़्शो पीयों। आखरी बात 18 हाँव ऐक नाँम खे, जुण्जा ईयों कताबे की बरंम्बाँणीं की बातो शुँणों, हाँव तिनू सोभी खे ऐजीं चिताँव्णीं देंऊँ, के जे कुँऐ ईन्दें मुँझ़्शो किऐ भे छ़ुड़्ला तअ पंण्मिश्वर ईयों कताबी दी लिखीं अंदी बादी बिबत्ती-ओब्ल़ी तेसी गाशी पाड़ी देला। 19 अरह् जे कुँऐ बरंम्बाँणीं की ईयों कताबी शी किऐ भे बातो मुँझ़्शो किऐ आगु गाड़ो; तअ पंण्मिश्वर जीवन के तेसी डाल़, अरह् पबित्र नंगर मुँझ़्शो, जिन्देंका बखाँण ईयों कताबी दो असो; तअ तेसी आदमी पंण्मिश्वर तेसी हंक-अधिकार शा दूर करी देले। 20 ईनू बातो की गुवाऐ-शाज़्त्त देणों वाल़ा ऐजो बुलो, “हाँव जरूर शीघा ही आँदा लागा।” आमीन! हे प्रभू यीशू आओ! 21 प्रभू यीशू के कृपा तुओं सोभी गाशी बंणीं अंदी रंऐ चैंई। |
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