याकूब 5 - Sirmouriसैठो-सूँकारो खे शख 1 ओ, सैठो-सूँकारो शुणों: दु:ख-कल़ेष तुँओं गाशी अबल़ी बणियों आँदे, तुँऐं रूऐ-लेल्याऐयों कृपा-रंय्म की सहाऐता माँगणों खे आप्णी पुकार करह्। जबे अबल़ी बईठो तअ रूणो अरह् दु:ख हों 2 तुवाँरा धन घरोऊँची खत्त्म हऐ गऐ। अरह् तुवाँरे खोट्णों दे किड़े-सुल़कै लागी रूऐ। 3 तुवाँरे सुन्नें-चाँदी का रंग धुधला हऐ गुवा, अरह् सेजा धुधलापंण ईन्देंखे गाशी गुवाऐ-शाज़्त देंदा, अरह् तुँवारी देह्-शरीर को आगी लई खेऊँड़ बंणियों तुँवारो माँस भस्म हंदो; किन्देंखे के ऐजा संईसारी का आखरी बख्त असो, अरह् तुँऐं हजो भे कप्टो शो धंन हे सलाऐ लो। 4 दे:खो, तुवाँरें खेच़ौ दे जिनू धियाढ़ूवाऐं काँम-काज़ करी थऐ, तुँऐं तिनकी धियाड़ी धुखे देऐयों तिन्खे देऐ ने थई, परह् तिन्की सेजी मेंह्नत लेल्याऐ-लेल्याऐयों, तिन्दें के गुवाऐ-शाज़त देऐ लऐ, के जीनू धियाड़ूवाऐं, तुवाँरे खेच़ौ के शाख सलाऐ थी, तिन्की सेजी लेर-पुकार सर्वशक्त्तिमाँन प्रभू के काँनों दी पढ़ी रंऐ। 5 संईसारी धर्ती गाशी तुवाँरा जीवन बैजाऐ सुखी-आँनन्द थिया, अरह् तुँवारा दिल भे देह्-शरीर की हिछ़या शा भरा अंदा थिया, जिन्दें लई तुँऐं मुँटे-ताजे हंऐ रूऐ थिऐ, जेष्णें बाड़े के भात्ती मुँटियों। 6 तुँऐं धर्मांत्त्मा आदमी के बैस्त्ती करियों तेस्की हंत्त्या करी, तेने तुवाँरा साम्णा ने करी। दु:खो दे ढेठ करह् 7 ईन्देंखे हे भाऐ बंईणों, प्रभू के हजो संईसारी दे आँणों तोड़ी, ढैठ-हिम्मत थह, जेष्णा ऐक जिम्दार आप्णी शाखों बोंणों खे ख्याल थंह्, जाव तोड़ी के जीमी दी शाख बोंणों खे सर्गो शो पाँणी आऐयों बातर ने पड़ो, अरह् से ताँव-तोड़ी सबैर करियों बातर पड़णों दियों। 8 तुँऐं भे ढैठ-हिम्मत करह्, अरह् सास पाक्का बंणाँव, किन्देंखे के प्रभू के आँवणीं नंजीक असो। 9 हे, भाऐ बंईणों, ओका, ओकी गाशी दोष-बोद्दी ने किन्देंखे के नियाँव कर्णो वाल़ा तुँवारी देव्ल़ी गाशी खल़िया अंदा असो। 10 हे, भाऐ बंईणों तिनू ऋषी आदर-ईज्जत ज़ुगै जाँणों, जिन्ऐं प्रभू के नाँव शी बातो बुल्दे दु:ख कष्ट सुऐं परह् आप्णा सबैर ने छुड़ी। 11 दे:खो, आमें सबैर माँर्णों वाल़े खे सभासी दियों; अरह् तुऐ अय्यूब के धीरज-सबैर के बारे दो तअ शुणी ही थुओ! अरह् तेसी प्रभू के कृपा शा जुण्जा प्रतिफल़ भेटा; तुँऐ सेजा भे जाँणोंऐं, जिन्दें लई प्रभू के बैजाऐ करूणा, अरह् दया पर्गट हों। 12 हे, मेरे, प्यारे भाऐ बंईणों, ईन्देशी बैजाऐ बड़ी बात ऐजी असो, के षौह ने करे, ना स्वर्गो की, अरह् ना धर्ती की, अरह् ना कोसी ओकी चींजो की, परह् तुँवारी बात-चींत्त हाँ, के “हाँ”, अरह् ना, के “ना”, हऐ चेंई, जिन्दें लई तुँऐं सजा ज़ूगै ने बणों। बिश्वाष शी भरी प्रार्थना 13 जे तुँओं मुँझी कुँऐं दु:ख-तख्लिफ दा असो, तअ से प्रार्थना करह्, जे कुँऐं सु:खी-मंजे दा असो, तअ से दिल शे स्तुति-अरार्धना के भजन गाँव। 14 जे तुँओं मुँझी कुँऐं रूगी दु:खिया असो, तअ से कलीसिया के ठग्ड़ै बईदो, अरह् सेजे ठग्ड़ै प्रभू के नाँव शी तेसी गाशी तेल मुँल़ियों तेस्खे प्रार्थना करह्। 15 अरह् बिश्वाष की प्रार्थना लई सेजा रूगी चाँगा हऐयों प्रभू के नाँव शा बंची ज़ाला, अरह् जे तेने किऐ पाप करी थुऐ, तअ प्रभू सेजे भे तेस्खे माँफ करी देला। 16 आछो तअ ऐजो असो, के तुऐं आप्णें पाप आपु ओका ओकी के साम्णें माँनी पाँव, अरह् ओका ओकी खे प्रार्थना करह्, जिन्दें लई तुँऐं हजो चाँगै हऐ ज़ाँव, किन्देंखे के धर्मी जंण की प्रार्थना की शक्त्ति लई सब-कुछ हों। 17 ऋषी-एलिय्याह भे तअ आँमों जेष्णाँ ही ऐक आदमी थिया, अरह् तेने गिड़्-गीड़ाऐयों प्रार्थना करी, जू धर्ती गाशी बरखा ने पड़ो अरह् साड़े च़ींन साल तोड़ी धर्ती गाशी बर्खा ने हई। 18 तबे ऋषी-एलिय्याह ऐ बर्खा हंणों खे प्रार्थना करी, तअ गऐणी स्वर्गो शी मुसल़ाधार बर्खा हऐं, अरह् धर्ती गाशी बातर पड़ियों जीमी दे आच्छ़ी शाख हऐ। 19 हे मेरे भाऐ बंईणों, जे तुँओं मुँझ्षा कुँऐं सच्चाई के बाटो शा भट्की ज़ाला, अरह् तेसी कुँऐं पाछू फिरऐयों आँणों। स्वर्गदूत्तों दे हुटे दे भे खुशी मनुवाँ जे कुँऐं बुराई शा पाछू फिरंह् 20 तअ जे कुँऐं तेसी भट्का हंदा पापी पाछू फेरियों आँणों, तअ सेजा आदमी तेसी भट्के अंदे पापी आदमी के प्राण-आत्त्मा मंऊँत्ती शे बंचाऐयों तेस्की पाप गाशी पड़दा पाँव। |
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