कुलुस्सियों 2 - Sirmouri1 हाँव चहाऊँ के तुँऐं जाँणी पाव, के तुवाँरे अरह् तिनखे जुण्जे लौदीकिया नंगर दे असो, अरह् तिनू सोभिखे जिन्ऐं मुँह आँम्णें-सहाँम्णें ने देखी थई, के हाँव केष्णी मेंह्नत्त करू। 2 जू तिनके मँन खे होंसला भेटो, अरह् से ओका ओकी के प्यारो दा बंदी ज़ाँव; अरह् बिश्वाष का सेजा बादा धंन जुण्जा साच्चै ज्ञाँन शा भेटो, सेजा धंन तिनू भेटो, मतल्व पंण्मिश्वर की भेद् का साच्चा ज्ञाँन हों; जुण्जा आपु मसीया असो। 3 जिन्दे बुद्धी अरह् ज्ञाँन के भंडार छ़ुप्पै असो, 4 हाँव ऐजो ईन्देंखे बुलू, के कुँऐं आदमी तुँओं लल़्चाणों वाल़ी बातो लई; तुओं खे धोखा ने दियों। 5 मंतल्व हाँव देह्-शरीर दा तेथै ने आथी, परह् तंबे भे तुवाँरे आच्छ़ै आत्त्मिक भाव शा मसीया दा तुवाँरे बिश्वाष की संच्चाई देखियों खुशी हंऐयों आत्त्मा दा तुवाँरी गंईलो असो। मसीया दी अजादी 6 ईन्देंखे के तुऐं जेष्णाँ मसीया यीशू धारण करी थुवा; तअ तुऐं आप्णाँ जीवन भे तिनही आरी जीयों। 7 अरह् तिनही दे तुऐं जुड़े अंदे, अरह् मसीया दे बड़्दे, अरह् आप्णें बिश्वाष दे पाक्कै हंऐ ज़ाव; ठीक तेष्णें ही जेष्णीं तुओं खे शिक्क्षा देऐ थंऐ, अरह् तुऐं धन्यबाद की हिछ़या दे जादा शे जादा बंड़्दे ज़ाँव। 8 ईन्दें चौक्क्ष रूऐ, के कुँऐं तुँओं ईनू देखावे के ज्ञाँन अरह् बै-कार के धोखे दे आप्णें बष दे ने करी पाँव; जुण्जी के आदमी के रित्ति-रूवाज अरह् संईसारी के पुराँणी शिक्क्षा असो, जुण्जी के मसीया के हिसाब शी ने आथी। 9 पंण्मिश्वर की बादी भरपुरी जुण्जी के मसीया दा देह्-शरीर दा रूप धारंण करियों सदा बास करह्; 10 अरह् तुँऐं तिनही दे भर-पुर हंऐ गुऐ, जुण्जें हाकम अरह् हंक-अधिकारियों का मुँख्या असो। 11 मसीया दे करे गुऐ खतना के जाँणें, जबे तुवाँरे बादे पाप का सभाव ऊडा गाड़ा गुवा; तअ तुवाँरा ऐशा खतना करा गुवा, जुण्जा हाथों लंई ने करा ज़ाँदा। 12 अरह् जबे तुँऐ नहाँण-नहाँणों लई तिनकी गंईलो दाबे गुऐ; तअ तिनही की गंईलो बिश्वाष दे तुओं ऊँबे भे जीयाल़े गुऐ; जुण्जो के पंण्मिश्वर की शँक्त्ति लंई हों, जिन्ऐं मसीया भे मँरे अंदे मुँझ़्शे पाछ़ु ऊँबे जीयाल़ी थुऐ। 13 पंण्मिश्वर तुँओं भे, जू आप्णे देह्-शरीर के खतना के बिना मँरे अँदे जिऐ थिऐं, तिन्ऐं अमाँरे बादे पाप माँफ़ करियों तुँओं भे मसीया आरी ऊबे जीयाल़ी दिते। 14 पंण्मिश्वर ऐ अमाँरे तिनू करजे का लिखा, जुण्जा के अमाँरे बिरूध दा लिखी थुवा थिया; सेजा लिखा तिन्ऐं मसीया की शुँल़ी-फ़ाँषी गाशी कीलियों आगु मिटाऐ दिता। 15 अरह् पंण्मिश्वर ऐं हाकमों अरह् अधिकारियों लोग खाली करियों, तिनू आप्णीं जीत्त की खुशी दे खुल्म-खुलै हंस्णों खे करी दित्ते। 16 ईन्देंखे के तुवाँरे खाँन-पाँन, के मैल़ा, के नुँऐं चाँद, के बिषाँव को देस दा, से तुवाँरा किऐ भे फ़ंऐस्ला ने करी सको। 17 किन्देंखे के ऐजी बादी आँणों वाल़ी घट्ंणाँओं के ऐक नंकल असो, परह् खास जड़ तअ मसीया असो। 18 कुँऐं भे जुण्जा गंरबाई के देखावे खे, अरह् स्वर्गदूत्तों की पूजा करदा मंगन रंह्; अरह् से तुओं तियों दौड़ के ईनाँम शे दूर ने करी दियों; किन्देंखे के ऐष्णा आदमी देंखी अंदी बातो दा लागा अंदा रंह्; अरह आप्णी जाँण्कारी संहम्झ़ दा बैकार शियाँगियों। 19 ऐष्णाँ आदमी सेजो मुँढ पाक्कों ने थाँम्बड़ियों थंदा, जिन्दें लंई बादी देह्-शरीर जोड़ अरह् माँस आरी, साँस लंणों वाल़े अंग के जाँणें पाल़्ण-पौष्ण लंई सब कंट्ठै हंऐयों पंण्मिश्वर की तरफ़ शे बड़्दे ज़ाँव। मसीया आरी मँरणा अरह् जीऊँणा 20 किन्देंखे के जबे तुँऐं संईसारिक ज्ञाँन की तरफ़ शे मसीया आरी मँरी गुऐ, तअ ऐबे तुवाँरी जीऊँणों के रीत्त ऐष्णीं कैई असो? जेष्णीं के संईसारी के ईनू निय्मों के बष दी हों। 21 के “ऐजो ने छूऐं” ऐजो ने “चाखे” अरह् ईदा “हाथ तक ने लाऐं।” 22 (ऐ बादी च़ीज़ो काँम-काज़ दे लाँदें-लाँदें नाष हऐं ज़ाँव) किन्देंखे के ऐ आदमी के ऐजो सब-कुछ़ अज्ञाँ अरह् शिक्क्षा लई हों। 23 ईनू बिद्धियों दे आप्णीं हिछ़्या के मुँताबिक बंणाँऐ अंदी, भगत्ती की रित्ति, अरह् गंरबाई, अरह् शारीरिक सभाव के भाव शा ज्ञाँन का नाँव तअ असो ऐ; परह् शारीरिक हिछयाँ रूक्णों खे ईन्दा किऐ भे फ़ाय्दा ने आथी। |
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