2 थिस्सलुनीकियों 3 - Sirmouriप्रार्थना कर्णो खे ढाल-अरज 1 आखरी दी, हे भाऐ-बंईणों, आँमों खे प्रार्थना करिया करह्, के प्रभू का बचन ऐशा झट् फईलो, अरह् बड़ियाऐ पाँव, जेष्णाँ तुँओं मुँझी फईला, 2 अरह् आँमें निकारे अरह् दुष्ट आदमी शे बंचियों रंह्, किन्देंखे के हेभी बादे झ़ुणें बिश्वाष दे ने आथी। 3 परह् प्रभू साच्चा, असो; से तुँओं बिल्कुल पाक्कै करदा, अरह् दुष्टो शे बंचाऐयों थोंदा। 4 आँमों प्रभू दा तुँओं गाशी भोर्षा असो, के जुण्जी-जुण्जी अज्ञाँ आँमें तुँओं खे दियों, तिनू माँनें, अरह् माँन्दे भे रंह्ले। 5 पंण्मिश्वर को प्यार अरह् मसीया का सबैर की ढबे प्रभू तुवाँरे मंन के अगुवाऐ करह्। काँम-काज़ कर्णो का पद्-भार 6 हे भाऐ-बंईणों, आँमें तुँओं खे आप्णे प्रभू यीशू मसीया के नाँव शी अज्ञाँ दियों, के तुँऐं ऐक नाँम तिनू भाई शे ज़ई रूऐ, जुण्जे भाऐ गलत चाल-चालो, अरह् जुण्जी शिक्क्षा तिन्ऐं आँमों कैई शी पाँऐ, अरह् तिन्दे के मुँताबिक ने से चाल्दे तिनू लोगो शे दुर्के रूऐ। 7 किन्देंखे के तुँऐं आपु भे जाँणों ऐ, के केष्णी तुओं आँमों जेष्णी चाल चाल्णी पड़ो, किन्देंखे के आँमें तुँओं मुँझी रंह्ऐयों आच्छ़े काँम-काज़ कर्णों खे आल़सी ने बंणी, 8 अरह् कोसी की रोटी फाल़्तू दी ने खाँई; परह् मेह्न्त अरह् कष्टे शी रात-देस काँम-काज़ करियों, के आँमें कोसी ओकी गाशी बोह्झ़ ने बंणों। 9 ऐजो ने आथी, के आँमों कैई हंक-अधिकार ने आथी, परह् ईन्दें की ताँईऐ आँमें ऐष्णों करह्, के आँमें तुओं सोभी लोगों की ताँईऐ ऐक नंमुँना बंणों, के तुँऐं भे अमाँरी जेष्णीं चाल-चालो। 10 किन्देंखे के जबे आँमें तुवाँरे कागी थिऐ, तबे भे ऐजी अज्ञाँ तुँओं खे दियों थिऐ, के जे कुँऐं किऐ काँम-काज़ ने कर्णां चहाँव तअ से खाँणों खे भी ने खाँव। 11 आँमें शुँणी थो, के तुँओं मुँझी कुछ लोग गल़्त चाल-चालो, अरह् किऐ काँम-काज़ ने कर्दे, अरह् ओकी के काँम-काज़ भे बिगाड़ी दियों। 12 ऐष्णे खे आँमें प्रभू यीशू मसीया दी ऐजी अज्ञाँ दियों, अरह् सम्झाँव ऐ, के चुप-चाँण किऐ काँम-काज़ करियों आप्णी रोटी खाया करह्। 13 तुँऐं, हे भाऐ-बंईणों, भलाई कर्णो शी दीड़-हिम्मत ने छुड़े। 14 जे कुँऐं अमाँरे ईयों पत्री की बात ने माँनों, तअ तेसी का ख्याल थुऐ, अरह् तेस्को साथ ने करे, जिन्दे से सरमाऐ ज़ाँव। 15 तबे भे तेसी दुष्मन ने सम्झे, परह् भाऐ जाँणियों तेस कैई शो चित्ते कराओ। आखरी नमंष्कार 16 ऐबे प्रभू जू शाँण्त्ति का दाता असो, आपु ही तुँओं खे सदा अरह् साँत्त-भाँत्ती शाँण्त्ति दियों, अरह् प्रभू तुँओं सोभी आरी रंह्। 17 हाँव, पौलुस, आप्णे हाथे तुँओं खे नमंष्कार लिखू। बादी पत्री दी मेरी ऐजी ही पछयाँण असो; हाँव ऐष्णों ही लिखू। 18 अमाँरे प्रभू यीशू मसीया की कृपा तुँओं सोभी गाशी हंदी रंह्। |
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