2 कुरिन्थियों 13 - Sirmouriआखरी सह्लाह् 1 ऐबे च़ीज़ाल़िऐं हाँव तुँओं कैई आँदा लागा: दू, के च़ीं, गुवाह्-शाज़्त के मुँहों शी हर ऐक बात शुणाऐ ज़ाली। 2 जेष्णाँ हाँव जबे दुज़ाल़िऐं तुँआँरी गईलो थिया, तेष्णा ही ऐबे दुरका रंह्दे, तिनू लोगो शा जिन्ऐं आगे पाप करा, अरह् ओके बादे लोगो खे ऐबे आगे ही बुली देऊँ, के जे हाँव हजो तुँओं कैई आँऊबा तअ हाँव सेजे पापी छुड़्दी ने; 3 किन्देंखे के तुँऐं तअ ईन्दें का नंतीजा जाँणोंऐं, के मसीया मुँह कैई बुलोऐ; जू तुँओं खे कंंमजोर ने परह् तुँओं दा शक्त्तिशाली असो। 4 से तिनू कंमजूरी के कारण शुँल़ी-फ़ाँशी तअ चढ़ाऐ तअ गुऐ; तबे भी पंण्मिश्वर की शक्त्ति शे जीऊँदी असो। आँमें भे तिन्दें कंंमजोर असो, परह् पंण्मिश्वर की शक्त्ति शे जू तुँओं खे असो, तिनकी गईलो जींऊँबे। 5 आपु-आप्खे जाँच्चो-पर्खो के तुँऐं बिश्वाष दे असो ऐ के आथी ने। आपु-आप्खे जाँच्चो-पर्खो। कियो तुँऐं आप्णें बारे दो ऐजो जाँण्दें ने, के यीशू मसीया तुँओं दे असो? ना तअ तुँऐं जाँच्च-परख दे नि-काँम्में निक्ल़ी रूऐ। 6 परह् मेरा भूर्षा असो, के तुँऐं जाँणी पाँदें, के आँमें नि-काँम्में ने आथी। 7 आँमें आप्णे पंण्मिश्वर शी ऐजी प्रार्थना करह्, के तुँऐं किऐ बुराई ने करह्; ईन्देंखे ने के आँमें आछे दे:खियों, परह् ईन्देंखे के तुँऐं भलाऐ करह्, भाँव आँमें नि-काँम्में ही बंणों। 8 किन्देंखे के आँमें सच्चाई के बिरूध दो किऐ ने करी सक्दे, परह् सच्चाई खे ही करी सको। 9 जबे आँमें कंंमजोर असो, अरह् तुँऐं बलवाण असो, तअ आँमें आँन्दित्त-खुशी हों, अरह् ऐजी प्रार्थना भे करह्, के तुँऐं शुद्ध हऐ ज़ाँव। 10 मुँऐं दुर्के रंऐयों ऐजी बातो ईन्देखे लिखी लई, के तेथै हाजीर हणों गाशी मुँह प्रभू के जाँणें दिते गुऐ हंक-अधिकार ईसत्तेमाल़ शक्त्ती शा ने करणा पड़ो; ऐसी हंक-अधिका का मंतलव बड़ोत्री असो, नाष करणा ने आथी। आखरी नमष्कार 11 तअ: हे भाऐ, बंईणों, आँन्दित्त-खुशी रंह्; साच्चै बण्दे ज़ाव; हिम्मत थुऐं; ऐक ही मंन थुऐ; मेल शे रूऐ। अरह् पियार अरह् शाँण्त्ति का दाता पंण्मिश्वर तुँवारी गईलो हला। 12 ओका ओकी दी हगाल़ी देऐयों पबित्र नमष्कार करह्। 13 बादे पबित्र लोग तुँओं खे नमष्कार करह्। 14 प्रभू यीशू की कृपा अरह् पंण्मिश्वर को पियार अरह् पबित्र-आत्त्मा की संगत्ति तुँओं सोभी आरी हंदी रंह। |
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