2 कुरिन्थी 2 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 मंऐं हेरअ त आपणैं मना दी इहअ ई सोठी कि भी निं तम्हां दुखी करदै एछणअ आथी। 2 किल्हैकि, ज़ै हुंह तम्हां दुखी करूं, ता मुल्है खुशी दैणैं आल़अ कुंण हणअ, कि सिधअ सह ई ज़ुंण मंऐं दुखी किअ? 3 मंऐं आसा तम्हां लै अह ई गल्ल तै लिखी दी, ताकि इहअ निं हआ कि मेरै एछणैं करै, ज़हा का मुंह खुशी भेटणीं ती तिन्नां का भेटा मुंह दुखी हणअ। किल्हैकि मुंह आसा तम्हां सोभी दी एसा गल्लो भरोस्सअ कि ज़ुंण मुंह खुशी आसा, सह ई आसा तम्हां सोभिए बी। 4 मंऐं ती सह च़िठी बडै दुखा और सांगटा और मना भितरी लेरी-लेरी लिखी दी, सह निं मंऐं एते तैणीं लिखी कि तम्हैं लोल़ी दुखी हुऐ, पर एते तैणीं आसा लिखअ दी कि तम्हैं लोल़ी मेरी सह झ़ूरी समझ़ी ज़ुंण मुंह तम्हां संघै आसा। ज़ुल्म करनै आल़ै लै माफी 5 हुंह निं इना गल्ला साबा का बाधू आथी लागअ द बोलदअ, पर ज़ुंणी दुखी किऐ तेऊ किऐ मुखा ज़ादै तम्हैं दुखी। (गलाती 4:12) 6 इहै मणछा लै आसा अह सज़ा बतेर्ही ज़ुंण तम्हां विश्वासी भाई मांझ़ै तेऊ लै दैनी। 7 एता का बधिया आसा इहअ कि एऊए गलती करा माफ, और एऊ लै दैआ शांती, और इहअ निं लोल़ी हुअ कि इहअ मणछ रहे कबल्लअ दुखा दी डुबी। (इफिसी 4:32) 8 एते पिछ़ू करा हुंह तम्हां का अरज़ कि तेऊ का लोल़ी शुझुअ कि तम्हैं तेऊ संघै केही झ़ूरी करा। 9 किल्हैकि मंऐं आसा त एते तैणीं बी लिखअ द कि तम्हां परखी लऊं कि तम्हैं मेरी सोभी गल्ला मनणा लै तैर बी आसा कि नांईं। 10 ज़हा तम्हैं माफ करा तेऊ करा हुंबी माफ। ज़ुंण बी माफ करनै जोगी त सह हेरअ मंऐं माफ करी। मंऐं किअ मसीहा सम्हनै थारी भलाईए तैणीं माफ 11 कि हाम्हां करै निं राख्सा लोल़ी फाईदअ हुअ। किल्हैकि हाम्हां का आसा तेऊए बूरी सोठे बारै थोघ कि सह किज़ै च़ाहा। त्रोआस नगरी पल़सीओ दुखी हणअ 12 ज़ेभै हुंह मसीहे खुशीए समादा खोज़दअ त्रोआस नगरी लै आअ, ता प्रभू दैनअ मुल्है खुशीए समादा खोज़णेंओ मोक्कअ। 13 पर मेरै मना निं चैन हुअ आथी, इहअ करै कि तिधी निं मुखा मसीहा दी मेरअ भाई तितुस शुझुअ और तैही नाठअ हुंह त्रोआस नगरीए विश्वासी भाई का बिदा हई करै मकिदुनिया लाक्कै लै तेऊ लोल़अ। मसीहा दी ज़ीत 14 पर हुंह करा परमेशरो शूकर! कि सह दैआ मसीहा दी सदा ई ज़ीत। हाम्हैं ज़िधी बी डेओआ तिधी खोज़ा हाम्हैं खुशीओ समाद ताकि सोभी का परमेशरो थोघ लागे। 15 किल्हैकि म्हारी ज़िन्दगी आसा मसीहा दी परमेशरा सेटा उद्धारा पाणै और बरैबाद हणैं आल़ै दुही लै ईशू मसीहे खुशबू। 16 कोई लै ता आसा मौता ज़ेही नकाम्मीं बास्स, कई लै आसा सदा रहणैं आल़ी ज़िन्दगीए खुशबू, एता जोगी निं कोहै आथी ज़ुंण एसा खुशबू छ़ाडे। 17 हाम्हैं निं तिन्नां ज़िहै आथी ज़ुंण परमेशरे बैणा ढबे तैणीं करा प्रच़ार। पर हाम्हैं खोज़ा परमेशरो बैण शुचै मनैं और मसीहे हका करै इहअ सोठी करै कि परमेशर आसा हाम्हां भाल़अ लागअ द। |
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