2 कुरिन्थी 10 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधानपल़सीओ हक 1 हुंह आसा सह ई पल़सी ज़ुंण तम्हां सम्हनै शरीफ आसा, पर पिठी पिछ़ू करा तम्हां लै हिम्मत, और हुंह समझ़ाऊआ तम्हां मसीहे शरीफी और झींणा पिछ़ू। 2 मेरी आसा तम्हां का एही अरज़ कि ज़ेभै हुंह तम्हां सेटा लै एछूं तेभै निं लोल़ी मुंह तिन्नां लै काठै हई करै बोल़णअ पल़अ ज़ुंण मुल्है इहअ बोला कि एऊए ज़िन्दगी आसा संसारे मणछे साबै। ज़ेही मुखा आशा बी हआ कि हुंह आसा बोलदअ काठअ। 3 अह आसा सच्च़ी कि हाम्हैं आसा एसा देही दी एऊ संसारे पर हाम्हैं निं संसारे लोगा ज़िहै आपणैं दुशमणा संघै जुध करदै आथी। 4 किल्हैकि म्हारै जुधा करने चाण निं संसारे मणछै बणांऐं दै आथी, पर म्हारै चाण परमेशरा बाखा का शगती ज़ुंण झ़ुठी हठ पाणै आल़ी गल्ला खतम करा। 5 इहअ करै हाम्हैं आपणैं खुआबा और हर एक घमंडी गल्ला करा हाम्हैं खतम ज़ुंण परमेशरे बछ़ैणें बरोधा दी उझ़िआ, तेता करा हाम्हैं रोक्की और हरेक दिले गल्ला बशै करी करै बणां मसीहे हर गल्ला मनणै आल़ै। 6 ज़ेभै तम्हैं आप्पू मसीहे हर गल्ला मनें तै हणैं हाम्हैं तिन्नां लै सज़ा दैणैं आल़ै ज़ुंण मसीहो हुकम नांईं मंदै। 7 तम्हैं भाल़ा तिन्नां ई गल्ला ज़ुंण थारी आछी का शुझिआ। ज़ै कहा आप्पू दी भरोस्सअ आसा सह आसा मसीहो, ता सह ज़ाणैं इहअ बी कि ज़िहअ सह मसीहो आसा, तिहै ई आसा हाम्हैं बी मसीहे। 8 किल्हैकि सह हक निं प्रभू मुल्है थारै विश्वासा कमज़ोर करना लै आथी दैनअ, पर सह आसा तम्हां पाक्कै विश्वासी बणांणा लै हाम्हां लै दैनअ द। ज़ै हुंह तेऊ हके बारै होर बी घमंड रहैऊ ता एता करै निं हुंह शर्मिंदअ हणअ। 9 एता बोला हुंह एते तैणीं कि एसा च़िठी करै निं लोल़ी हुंह तम्हां डरैऊणैं आल़अ हुअ। 10 किल्हैकि तम्हां मांझ़ै बोला कई, “तेऊए च़िठी सोर समझ़ा दैणैं आल़ी और असर करनै आल़ी ता आसा पर मुंहां सम्हनै ज़ाण्हिंआं सह देही दी दुबल़अ और गल्ला-बाता दी हल़कअ।” 11 ज़ुंण इहअ बोला, सह डाहै इहअ समझ़ी कि ज़िहै पिठी पिछ़ू च़िठी दी म्हारै बैण आसा, तिहै ई हणैं थारै सम्हनै म्हारै काम बी। 12 किल्हैकि हाम्हां निं एतरी हिम्मत आथी कि हाम्हैं तिन्नां इहै मणछा संघै आप्पू गिणी और तिन्नां संघै मिली सके ज़ुंण आपणीं सराहणा आप्पू करा, और आपणैं आप्पू मांझ़ै नापी-तोली करै एकी दुजै संघै मलान करी करै ऐडअ बणां। 13 ज़ुंण काम परमेशरै हाम्हां लै आसा दैनअ द तेते हदा बागै निं हाम्हां कधि घमंड करनअ, पर तैहा ई हदा तैणीं ज़ुंण परमेशरै आसा दैनी दी और तेथ आसा गऐ दै तम्हैं बी एछी, और हाम्हां करनअ तेते ई साबै घमंड बी 14 ज़धू हाम्हैं तम्हां सेटा पुजै तै हाम्हैं निं हदा का आजू नाठै ज़िधी तैणीं परमेशरै हाम्हां लै काम करना लै हद आसा ती डाही दी। तेऊ दैनअ हाम्हां लै थारअ लाक्कअ और हाम्हैं तै पैहलै मणछ ज़ुंणी कुरिन्थ नगरी पुजी करै तम्हां का मसीहो खुशीओ समाद खोज़अ। 15 हाम्हैं निं आपणीं हदा का खास्सअ दुजे मैन्था दी घमंड करदै आथी; पर हाम्हां आसा आशा कि ज़िहअ-ज़िहअ थारअ विश्वास बढदअ रहणअ, ता तिहै-तिहै ई रहणैं हाम्हैं आपणीं हदे साबै तम्हां करै तम्हां ओरी-पोरी होर बी खास्सै लोगा सेटा खुशीए समादा पजैल़ै लागी, 16 ताकि हाम्हैं थारी हदा का आजू दूर-दूर कई ज़ैगा डेऊई करै खुशीओ समाद खोज़ी सके। इहअ निं आथी कि हाम्हां करनअ दुजे हदा भितरी डेऊई बणैं बणांऐं कामां दी घमंड। 17 पर ज़िहअ पबित्र शास्त्रा दी आसा लिखअ द, “ज़ुंण घमंड करे सह करे सिधअ प्रभू दी।” (1 कुरिन्थी 1:31; यिर्मयाह 9:24) 18 किल्हैकि ज़ुंण आपणीं बड़ाई आप्पू करा, सह निं किछ़ै हंदी, पर ज़सरी बड़ाई प्रभू करा सह ई हआ परमेशरे आछी भलअ। |
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