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- Sanasan -

2 तवारीख़ 4 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019


ख़ुदावन्द के घर का साज़-ओ-सामान

1 और उसने पीतल का एक मजबह बनाया, उसकी लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई बीस हाथ और ऊंचाई दस हाथ थी।

2 और उसने एक ढाला हुआ बड़ा हौज बनाया जो एक किनारा से दूसरे किनारे तक दस हाथ था, वह गोल था और उसकी ऊंचाई पाँच हाथ थी और उसका घर तीस हाथ के नाप का था।

3 और उसके नीचे बैलों की सूरते उसके आस पास दस — दस हाथ तक थी और उस बड़े हौज को चारों तरफ़ से घेरे हुए थी, यह बैल दो क़तारों में थे और उसी के साथ ढाले गए थे।

4 और वह बारह बैलों पर धरा हुआ था, तीन का चेहरा उत्तर की तरफ़ और तीन का चेहरा पश्चिम की तरफ़ और तीन का चेहरा दक्खिन की तरफ़ और तीन का चेहरा पूरब की तरफ़ था और वह बड़ा हौज़ उनके ऊपर था, और उन सब के पिछले 'आज़ा अन्दर के चेहरा थे।

5 उसकी मोटाई चार उंगल की थी और उसका किनारा प्याला के किनारह की तरह और सोसन के फूल से मुशाबह था, उसमे तीन हज़ार बत की समाई थी।

6 और उसने दस हौज़ भी बनाने और पाँच दहनी और पाँच बाई तरफ़ रखें ताकि उन में सोख़्तनी क़ुर्बानी की चीज़ें धोई जाएँ, उनमे वह उन्हीं चीज़ों को धोते थे लेकिन वह बड़ा हौज़ काहिनों के नहाने के लिए था।

7 और उसने सोने के दस शमा’दान उस हुक्म के मुताबिक़ बनाए जो उनके बारे में मिला था उसने उनको हैकल में पाँच दहनी और पाँच बाई तरफ़ रखा।

8 और उसने दस मेज़े भी बनाई और उनको हैकल में पाँच दहनी पाँच बाई तरफ़ रखा और उसने सोने के सौ कटोरे बनाए।

9 और उस ने काहिनों का सहन और बड़ा सहन और उस सहन के दरवाज़ों को बनाया और उनके किवाड़ों को पीतल से मेंढ़ा।

10 और उसने उस बड़े हौज़ को पूरब की तरफ़ दहिने हाथ दक्खिन चेहरा पर रखा।

11 और हूराम ने बर्तन और बेल्चे और कटोरे बनाए, इसलिए हूराम ने उस काम को जिसे वह सुलेमान बादशाह के लिए ख़ुदा के घर में कर रहा था तमाम किया।

12 या’नी दोनों सुतूनों और कुरे और दोनों ताज जो उन दोनों सुतूनों पर थे और सुतूनों की चोटी पर के ताजों के दोनों कुरों को ढाकने की दोनों जालियाँ;

13 और दोनों जालियों के लिए चार सौ अनार या'नी हर जाली के लिए अनारों की दो दो क़तारें ताकि सुतूनों पर के ताजों के दोनों कुरें ढक जाए।

14 और उसने कुर्सियाँ भी बनाई और उन कुर्सियों पर हौज़ लगाये।

15 और एक बड़ा हौज़ और उसके नीचे बारह बैल;

16 और देगें, बेल्चे और काँटे और उसके सब बर्तन उसके बाप हूराम ने सुलेमान बादशाह के लिए ख़ुदावन्द के घर के लिए झलकते हुए पीतल के बनाए।

17 और बादशाह ने उन सब को यरदन के मैदान में सुक्कात और सरीदा के बीच की चिकनी मिटी में ढाला।

18 और सुलेमान ने यह सब बर्तन इस कशरत से बनाए कि उस पीतल का वज़न मा'लूम न हो सका।

19 और सुलेमान ने उन सब बर्तन को जो ख़ुदा के घर में थे बनाया, या'नी सोने की क़ुर्बानगाह और वह मेजें भी जिन पर नज़्र की रोटियां रखीं जाती थीं।

20 और ख़ालिस सोने के शमा'दान चिराग़ों के साथ ताकि वह दस्तूर के मुताबिक़ इल्हमगाह के आगे रोशन रहें।

21 और सोने बल्कि कुन्दन के फूल और चिराग़ों और चमटे;

22 और गुलगीर और कटोरे और चमचे और ख़ुशबू दान ख़ालिस सोने के और घर का मदख़ल या'नी उसके अन्दरूनी दरवाज़े पाकतरीन मकान के लिए और घर या'नी हैकल के दरवाज़े सोने के थे।

URD-IRV

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Indian Revised Version (IRV) - Urdu (इंडियन रिवाइज्ड वर्जन - उर्दू), 2019 by Bridge Connectivity Solutions Pvt. Ltd. is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License. This resource is published originally on VachanOnline, a premier Scripture Engagement digital platform for Indian and South Asian Languages and made available to users via vachanonline.com website and the companion VachanGo mobile app.

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