1 तीमु 3 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019कलीसिया में रहनुमां 1 और ये बात सच है, कि जो शख़्स निगहबान का मर्तबा चाहता है, वो अच्छे काम की ख़्वाहिश करता है। 2 पस निगहबान को बेइल्ज़ाम, एक बीवी का शौहर, परहेज़गार, ख़ुदापरस्त, शाइस्ता, मुसाफ़िर परवर, और ता'लीम देने के लायक़ होना चाहिए। 3 नशे में शोर मचाने वाला या मार — पीट करने वाला न हो; बल्कि नर्मदिल, न तकरारी, न ज़रदोस्त। 4 अपने घर का अच्छी तरह बन्दोबस्त करता हो, और अपने बच्चों को पूरी नर्मी से ताबे रखता हो। 5 (जब कोई अपने घर ही का बन्दोबस्त करना नहीं जानता तो ख़ुदा कि कलीसिया की देख भाल क्या करेगा?) 6 नया शागिर्द न हो, ताकि घमण्ड करके कहीं इब्लीस की सी सज़ा न पाए। 7 और बाहर वालों के नज़दीक भी नेक नाम होना चाहिए, ताकि मलामत में और इब्लीस के फन्दे में न फँसे 8 इसी तरह ख़ादिमों को भी नर्म होना चाहिए दो ज़बान और शराबी और नाजायज़ नफ़ा का लालची ना हो 9 और ईमान के भेद को पाक दिल में हिफ़ाज़त से रख्खें। 10 और ये भी पहले आज़माए जाएँ, इसके बाद अगर बे गुनाह ठहरें तो ख़िदमत का काम करें। 11 इसी तरह'औरतों को भी संजीदा होना चाहिए; तोहमत लगाने वाली न हों, बल्कि परहेज़गार और सब बातों में ईमानदार हों। 12 ख़ादिम एक एक बीवी के शौहर हों और अपने अपने बच्चों और घरों का अच्छी तरह बन्दोबस्त करते हों। 13 क्यूँकि जो ख़िदमत का काम बख़ूबी अंजाम देते हैं, वो अपने लिए अच्छा मर्तबा और उस ईमान में जो मसीह ईसा पर है, बड़ी दिलेरी हासिल करते हैं। 14 मैं तेरे पास जल्द आने की उम्मीद करने पर भी ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ, 15 कि अगर मुझे आने में देर हो, तो तुझे मा'लूम हो जाए कि ख़ुदा के घर, या'नी ज़िन्दा ख़ुदा की कलीसिया में जो हक़ का सुतून और बुनियाद है, कैसा बर्ताव करना चाहिए। 16 इस में कलाम नहीं कि दीनदारी का भेद बड़ा है, या'नी वो जो जिस्म में ज़ाहिर हुआ, और रूह में रास्तबाज़ ठहरा, और फ़रिश्तों को दिखाई दिया, और ग़ैर — क़ौमों में उसकी मनादी हुई, और दुनिया में उस पर ईमान लाए, और जलाल में ऊपर उठाया गया। |
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