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- Sanasan -

1 कुरि 15 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019


मसीह का फिर से ज़िन्दा होना

1 ऐ भाइयों! मैं तुम्हें वही ख़ुशख़बरी बताए देता हूँ जो पहले दे चुका हूँ जिसे तुम ने क़बूल भी कर लिया था और जिस पर क़ाईम भी हो।

2 उसी के वसीले से तुम को नजात भी मिली है बशर्ते कि वो ख़ुशख़बरी जो मैंने तुम्हें दी थी याद रखते हो वर्ना तुम्हारा ईमान लाना बेफ़ाइदा हुआ।

3 चुनाँचे मैंने सब से पहले तुम को वही बात पहुँचा दी जो मुझे पहुँची थी; कि मसीह किताब — ए — 'मुक़द्दस के मुताबिक़ हमारे गुनाहों के लिए मरा।

4 और दफ़्न हुआ और तीसरे दिन किताब ऐ'मुक़द्दस के मुताबिक़ जी उठा।

5 और कैफ़ा और उस के बाद उन बारह को दिखाई दिया।

6 फिर पाँच सौ से ज़्यादा भाइयों को एक साथ दिखाई दिया जिन में अक्सर अब तक मौजूद हैं और कुछ सो गए।

7 फिर या'क़ूब को दिखाई दिया फिर सब रसूलों को।

8 और सब से पीछे मुझ को जो गोया अधूरे दिनों की पैदाइश हूँ दिखाई दिया।

9 क्यूँकि मैं रसूलों में सब से छोटा हूँ, बल्कि रसूल कहलाने के लायक़ नहीं इसलिए कि मैने ख़ुदा की कलीसिया को सताया था।

10 लेकिन जो कुछ हूँ ख़ुदा के फ़ज़ल से हूँ और उसका फ़ज़ल जो मुझ पर हुआ वो बेफ़ाइदा नहीं हुआ बल्कि मैंने उन सब से ज़्यादा मेहनत की और ये मेरी तरफ़ से नहीं हुई बल्कि ख़ुदा के फ़ज़ल से जो मुझ पर था।

11 पस चाहे मैं हूँ चाहे वो हों हम यही ऐलान करते हैं और इसी पर तुम ईमान भी लाए।

12 पस जब मसीह की ये मनादी की जाती है कि वो मुर्दों में से जी उठा तो तुम में से कुछ इस तरह कहते हैं कि मुर्दों की क़यामत है ही नहीं।

13 अगर मुर्दों की क़यामत नहीं तो मसीह भी नहीं जी उठा है।

14 और अगर मसीह नहीं जी उठा तो हमारी मनादी भी बेफ़ाइदा है और तुम्हारा ईमान भी बेफ़ाइदा है।

15 बल्कि हम ख़ुदा के झूठे गवाह ठहरे क्यूँकि हम ने ख़ुदा के बारे में ये गवाही दी कि उसने मसीह को जिला दिया हालाँकि नहीं जिलाया अगर बिलफ़र्ज़ मुर्दे नहीं जी उठते।

16 और अगर मुर्दे नहीं जी उठते तो मसीह भी नहीं जी उठा।

17 और अगर मसीह नहीं जी उठा तो तुम्हारा ईमान बे'फ़ाइदा है तुम अब तक अपने गुनाहों में गिरफ़्तार हो।

18 बल्कि जो मसीह में सो गए हैं वो भी हलाक हुए।

19 अगर हम सिर्फ़ इसी ज़िन्दगी में मसीह में उम्मीद रखते हैं तो सब आदमियों से ज़्यादा बदनसीब हैं।

20 लेकिन फ़िलवक़्त मसीह मुर्दों में से जी उठा है और जो सो गए हैं उन में पहला फल हुआ।

21 क्यूँकि अब आदमी की वजह से मौत आई तो आदमी की वजह से मुर्दों की क़यामत भी आई।

22 और जैसे आदम में सब मरते हैं वैसे ही मसीह में सब ज़िन्दा किए जाएँगे।

23 लेकिन हर एक अपनी अपनी बारी से; पहला फल मसीह फिर मसीह के आने पर उसके लोग।

24 इसके बाद आख़िरत होगी; उस वक़्त वो सारी हुकूमत और सारा इख़्तियार और क़ुदरत नेस्त करके बादशाही को ख़ुदा या'नी बाप के हवाले कर देगा।

25 क्यूँकि जब तक कि वो सब दुश्मनों को अपने पाँव तले न ले आए उस को बादशाही करना ज़रूरी है।

26 सब से पिछला दुश्मन जो नेस्त किया जाएगा वो मौत है।

27 क्यूँकि ख़ुदा ने सब कुछ उसके पाँव तले कर दिया है; मगर जब वो फ़रमाता है कि सब कुछ उसके ताबे' कर दिया गया तो ज़ाहिर है कि जिसने सब कुछ उसके ताबे कर दिया; वो अलग रहा।

28 और जब सब कुछ उसके ताबे' कर दिया जाएगा तो बेटा ख़ुद उसके ताबे' हो जाएगा जिसने सब चीज़ें उसके ताबे' कर दीं ताकि सब में ख़ुदा ही सब कुछ है।

29 वर्ना जो लोग मुर्दों के लिए बपतिस्मा लेते हैं; वो क्या करेंगे? अगर मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यूँ उन के लिए बपतिस्मा लेते हो?

30 और हम क्यूँ हर वक़्त ख़तरे में पड़े रहते हैं?

31 ऐ भाइयों! उस फ़ख़्र की क़सम जो हमारे ईसा मसीह में तुम पर है में हर रोज़ मरता हूँ।

32 जैसा कि कलाम में लिखा है कि अगर मैं इंसान की तरह इफ़िसुस में दरिन्दों से लड़ा तो मुझे क्या फ़ाइदा? अगर मुर्दे न जिलाए जाएँगे “तो आओ खाएँ पीएँ क्यूँकि कल तो मर ही जाएँगे।”

33 धोखा न खाओ “बुरी सोहबतें अच्छी आदतों को बिगाड़ देती हैं।”

34 रास्तबाज़ होने के लिए होश में आओ और गुनाह न करो, क्यूँकि कुछ ख़ुदा से नावाक़िफ़ हैं; मैं तुम्हें शर्म दिलाने को ये कहता हूँ।

35 अब कोई ये कहेगा, “मुर्दे किस तरह जी उठते हैं? और कैसे जिस्म के साथ आते हैं?”

36 ऐ, नादान! तू ख़ुद जो कुछ बोता है जब तक वो न मरे ज़िन्दा नहीं किया जाता।

37 और जो तू बोता है, ये वो जिस्म नहीं जो पैदा होने वाला है बल्कि सिर्फ़ दाना है; चाहे गेहूँ का चाहे किसी और चीज़ का।

38 मगर ख़ुदा ने जैसा इरादा कर लिया वैसा ही उसको जिस्म देता है और हर एक बीज को उसका ख़ास जिस्म।

39 सब गोश्त एक जैसा गोश्त नहीं; बल्कि आदमियों का गोश्त और है, चौपायों का गोश्त और; परिन्दों का गोश्त और है मछलियों का गोश्त और।

40 आसमानी भी जिस्म हैं, और ज़मीनी भी मगर आसमानियों का जलाल और है, और ज़मीनियों का और।

41 आफ़ताब का जलाल और है, माहताब का जलाल और, सितारों का जलाल और, क्यूँकि सितारे सितारे के जलाल में फ़र्क़ है।

42 मुर्दों की क़यामत भी ऐसी ही है; जिस्म फ़ना की हालत में बोया जाता है, और हमेशा की हालत में जी उठता है।

43 बेहुरमती की हालत में बोया जाता है, और जलाल की हालत में जी उठता है, कमज़ोरी की हालत में बोया जाता है और क़ुव्वत की हालत में जी उठता है।

44 नफ़्सानी जिस्म बोया जाता है, और रूहानी जिस्म जी उठता है जब नफ़्सानी जिस्म है तो रूहानी जिस्म भी है।

45 चुनाँचे कलाम लिखा भी है, “पहला आदमी या'नी आदम ज़िन्दा नफ़्स बना पिछला आदम ज़िन्दगी बख़्शने वाली रूह बना।”

46 लेकिन रूहानी पहले न था बल्कि नफ़्सानी था इसके बाद रूहानी हुआ।

47 पहला आदमी ज़मीन से या'नी ख़ाकी था दूसरा आदमी आसमानी है।

48 जैसा वो ख़ाकी था वैसे ही और ख़ाकी भी हैं और जैसा वो आसमानी है वैसे ही और आसमानी भी हैं।

49 और जिस तरह हम इस ख़ाकी की सूरत पर हुए उसी तरह उस आसमानी की सूरत पर भी होंगे।

50 ऐ भाइयों! मेरा मतलब ये है कि गोश्त और ख़ून ख़ुदा की बादशाही के वारिस नहीं हो सकते और न फ़ना बक़ा की वारिस हो सकती है।

51 देखो मैं तुम से राज़ की बात कहता हूँ हम सब तो नहीं सोएँगे मगर सब बदल जाएँगे।

52 और ये एक दम में, एक पल में पिछला नरसिंगा फूँकते ही होगा क्यूँकि नरसिंगा फूँका जाएगा और मुर्दे ग़ैर फ़ानी हालत में उठेंगे और हम बदल जाएँगे।

53 क्यूँकि ज़रूरी है कि ये फ़ानी जिस्म बक़ा का जामा पहने और ये मरने वाला जिस्म हमेशा की ज़िन्दगी का जामा पहने।

54 जब ये फ़ानी जिस्म बक़ा का जामा पहन चुकेगा और ये मरने वाला जिस्म हमेशा हमेशा का जामा पहन चुकेगा तो वो क़ौल पूरा होगा जो कलाम लिखा है “मौत फ़तह का लुक़्मा हो जाएगी।

55 ऐ मौत तेरी फ़तह कहाँ रही? ऐ मौत तेरा डंक कहाँ रहा?”

56 मौत का डंक गुनाह है और गुनाह का ज़ोर शरी'अत है।

57 मगर ख़ुदा का शुक्र है, जो हमारे ख़ुदावन्द 'ईसा मसीह के वसीले से हम को फ़तह बख्शता है।

58 पस ऐ मेरे अज़ीज़ भाइयों! साबित क़दम और क़ाईम रहो और ख़ुदावन्द के काम में हमेशा बढ़ते रहो क्यूँकि ये जानते हो कि तुम्हारी मेहनत ख़ुदावन्द में बेफ़ाइदा नहीं है।

URD-IRV

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Indian Revised Version (IRV) - Urdu (इंडियन रिवाइज्ड वर्जन - उर्दू), 2019 by Bridge Connectivity Solutions Pvt. Ltd. is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License. This resource is published originally on VachanOnline, a premier Scripture Engagement digital platform for Indian and South Asian Languages and made available to users via vachanonline.com website and the companion VachanGo mobile app.

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