दिब्य दरस 7 - गढवली नयो नियमएक बगत बाद 1-2 यांका बाद, मिल चार स्वर्गदूतों तैं दुनिया का चरी कूंणों पर खड़ो देखि। ऊं स्वर्गदूतों तैं दुनिया तैं विपत्तियों बट्टी नुकसान पौछांण को पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी अधिकार मिल्युं छो, चाहे उ समुन्द्र मा हो या धरती पर ऊंल दुनिया का चौ तरपां बट्टी डालों पर की हवा तैं रोक दींनि, कि समुन्द्र मा, अर धरती पर अर जंगल पर हवा नि चलो। मिल एक और स्वर्गदूत तैं पूर्व दिशा मा प्रकट हूंण देखि। वेमा पिता परमेश्वर की तरपां बट्टी एक मुहर छै जु हमेशा ज्यूँदो च, वे स्वर्गदूत ल ऊंची आवाज बट्टी ऊं चार स्वर्गदूतों तैं पुकारी अर बोलि, 3 “जब तक हम अपड़ा पिता परमेश्वर का दासों का माथा पर मुहर नि लगै द्यो तब तक धरती अर समुद्र अर डालों तैं नुकसान नि पौंछयां, कि उ, ऊं विपत्तियों बट्टी दुखी नि हो।” इस्राएल का एक लाख चवालीस हजार लोग 4 जब स्वर्गदूतों ल निशान लगांण पूरो कैर दींनि, त कैल मि तैं बतै कि उ लोग जौका माथा पर स्वर्गदूतों ल पिता परमेश्वर की मुहर बट्टी निशान लगै, ऊंकी संख्या एक लाख चवालीस हजार छै, यु लोग इस्राएल का सैरा बारह गोत्रों मा बट्टी छा। 5 स्वर्गदूतों ल यहूदा का गोत्र बट्टी बारह हजार लुखुं पर मुहर लगै, रूबेन का गोत्र बट्टी बारह हजार लुखुं पर, गाद का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, 6 आशेर का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, नप्ताली का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर; मनश्शे का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, 7 शमौन का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, लेवी का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, इस्साकार का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, 8 जबूलून का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, यूसुफ का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर, अर बिन्यामीन का गोत्र मा बट्टी बारह हजार पर मुहर लगै गै। क्लेश का कारण एक बड़ी भीड़ 9 यांका बाद मिल देखि कि लुखुं की एक इथग बड़ी भीड़ छै कि कुई भि ऊं सभियूं तैं नि गिणी सकदो छो। उ दुनिया का हर जाति, गोत्र, राष्ट्र अर भाषा बट्टी छा। उ सिंहासन अर चिनखा का संमणी खड़ा छा। ऊंका सफेद कपड़ा पैरयां छा अर हर एक आदिम को अपड़ा-अपड़ा हथ मा खजूर का फौका पकडयां छा जु कि एक आदर को चिन्ह छो। 10 अर ऊंची आवाज मा बुल्दी छै, “हमारा पिता परमेश्वर की स्तुति हो जु सिंहासन पर विराजमान च, अर चिनखा की स्तुति कैरा भस तू ही छै जु उद्धार दींदी।” 11 सैरा स्वर्गदूत सिंहासन का चौ तरपां अर दाना-सयाणों अर चार ज्यून्दा प्राणियों का चौ तरपां खड़ा छा, फिर उ सिंहासन का संमणी मुख का बल गिरिनि अर पिता परमेश्वर की आराधना कैरी, ऊंल बोलि, 12 “आमीन, हमारा पिता परमेश्वर, हम हमेशा तेरी महिमा अर स्तुति करदा, त्वे तैं धन्यवाद अर सम्मान दींदयां! हम मणदा छा कि तू सम्पूर्ण रीति से ज्ञानवान छै, अर सामर्थी छै, जु हमेशा कु सभि कामों तैं कन मा योग्य च, आमीन।” 13 यां पर दाना-सयाणों बट्टी एक ल मि बट्टी बोलि, यु सफेद कपड़ा पैरयूं को च? अर कख बट्टी ऐ? 14 मिल वे बट्टी बोलि, “हे स्वामी, मि नि जंणदु पर तू जणदी छै।” वेल मि बट्टी बोलि, “यु सफेद कपड़ा पैरयां लोग उ छिनी जौं की मौत कष्ट का बड़ा बगत मा हवे छै। यु उ लोग छिनी जौनु चिनखा का बलिदान का ल्वे बट्टी अपड़ा आप तैं पिता परमेश्वर की नजरों मा शुद्ध बणै दींनि।” 15 इलै ही उ पिता परमेश्वर का सिंहासन का संमणी खड़ा छा, अर उ हर बगत दिन अर रात पिता परमेश्वर का स्वर्गीय मन्दिर मा वेकी सेवा करदींनि; अर उ जु सिंहासन पर बैठद, ऊंका बीच रालो अर ऊंकी देखभाल करलो। 16 “उ फिर भूखा अर तिसला नि होला; अर सूरज ऊं तैं फिर कभी नि जलालो, न ही गर्मी ऊं तैं जलाली। 17 किलैकि चिनखो जु सिंहासन का बीच मा च, उ ऊंकी देखभाल करलो, उन ही जन एक चरवाहा अपड़ा ढिबरो की देखभाल करद; अर उ, ऊं तैं ताजा पांणी पींणु कु लिजालो जु लुखुं तैं जीवन दान दींद, अर पिता परमेश्वर ऊंकी आँखों बट्टी सभि आँसूओं तैं फूंजी दयालो।” |
Garhwali New Testament(गढवली नयो नियम), 2020 by The Love Fellowship is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License.